छड़ी यात्रा चार धारों की यात्रा के बाद अब कुमायूं मण्डल में भ्रमण कर रही
हरिद्वार। चारों धाम की पवित्र छड़ी यात्रा चार धारों की यात्रा के बाद अब कुमायूं मण्डल में भ्रमण कर रही है। बुधवार को ब्रदीनाथ में पूजा अर्चना के बाद वापस बागेश्वर पहुची,जहां पर रात्रि विश्राम के बाद अल्मोड़ा के कौसानी पहुच गयी,यहां से कुमायूं मण्डल के विभिन्न पौराणिक स्थानों पर होते हुए वापस हरिद्वार जायेगी। इससे पूर्व ब्रदीनाथधाम में रावल जी तथा धर्माधिकारी ने पवित्र छड़ी का अभिषेक कर बाबा बद्रीनाथ का आर्शीवाद कर रवाना किया। प्रशासन की ओर से उपजिलाधिकारी तहसीलदार सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे। बद्रीनाथ धाम में पवित्र छड़ी व्यासगुफा,पांडकेश्वर मन्दिर,विष्णुप्रयाग के बाद पीपलकोटी पहुची। पिछले 12 अक्टूबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पूजा अर्चना के बाद चारों धामों के अलावा विभिन्न पौराणिक स्थलों मठो,मन्दिरों के लिए पवित्र छड़ी को रवाना किया था। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरी ने बताया कि पवित्र छड़ी को लेकर श्रीमहंत प्रेम गिरी,श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती साधु संतो के साथ कर्णप्रयाग पहुची,जहां पांच शताब्दी पूर्व जूना अखाड़े की स्थापना की गयी थी। पवित्र छड़ी पहुचने पर भोलानाथ आश्रम तथा संगम पर स्थित शिवालय में श्रीमहंत नागेश्वर गिरि द्वारा पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की गयी। यात्रा मार्ग में थराली पहुचने पर स्थानीय विधायक श्रीमती मुन्नी देवी शाह ने पवित्र छड़ी एवं साधु संतो का ढोल नगाड़ो के साथ स्वागत किया। पवित्र छड़ी को जुलूस के रूप में गाजे बाजे के साथ श्रीमहंत रजनीशानंद गिरी,जिला पंचायत सदस्य महेश शंकर त्रिकोरी,सभासद हरीश पंत,पूर्व जिलाध्यक्ष प्रतीम सिंह रावत,कोटेश्वर के श्रीमहंत शिवानंद गिरी आदि बेतालेश्वर महादेव मन्दिर पहुचे,जहां स्थानीय नागरिकों ने छड़ी की पूजा अर्चना की। श्रीमहंत हरिगिरी ने बताया कि पवित्र छड़ी का स्थान स्थान पर स्थानीय नागरिकों द्वारा पुष्पवर्षा के साथ बड़े उत्साह से स्वागत किया जा रहा है। प्रसिद्व पौराणिक स्ािल बैजनाथ पहुचने पर पवित्र छड़ी का सरयू में स्नान करवाने के बाद मन्दिर में पूजा अर्चना की गयी।मन्दिर के श्रीमहंत भगीरथ गिरी व श्रीमहंत निरंजन गिरी ने पूजा के पश्चात के छड़ी को रात्रि विश्राम के लिए कौसानी अल्मोड़ा रवाना किया। साधु संतो के जत्थे का नेतृत्व श्रीमहंत शिवदत्त गिरी,श्रीमहंत धीरज गिरी,श्रीमहंत पशुपति गिरी,श्रीमहंत पुष्कर गिरी,श्रीमहंत सहजानंद गिरी आदि कर रहे है।