शिव स्वरूप संत ही साधक के सच्चे मार्गदर्शक होते है-श्रीमहंत विनोद गिरी
हरिद्वार। जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीमहंत विनोद गिरी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव परमार्थ को समर्पित होता है। संत ही शिष्य को ज्ञान की प्रेरणा देकर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। शिव स्वरूप संत ही साधक के सच्चे मार्गदर्शक होते हैं। जो व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार करवाकर उसे मोक्ष की राह दिखाते हैं। उक्त उद्गार उन्होंने भूपतवाला स्थित बाबा अमीर गिरी घाट पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप है। व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हो उसे गुरू की आवश्यकता पड़ती ही है। क्योंकि बिना गुरू के ज्ञान की प्राप्ति असंभव है। कथा वाचक गीता मनीषी राधा गिरी ने कहा कि संत सदैव ही समाज का मार्गदर्शन कर समरसता का वातावरण बनाकर एकता व सौहार्द का संदेश देते हैं। संतों के सानिध्य में ही व्यक्ति के उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। मुख्य अतिथि अपर मेला अधिकारी हरवीर ंिसंह ने कहा कि संतों का सानिध्य सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होता है। संतों के सानिध्य में प्राप्त ज्ञान व्यक्ति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। म.म.स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि गंगा तट पर गुरू गद्दी के सानिध्य में किए गए धार्मिक क्रिया कलाप सहस्त्र गुणा पुण्य फल प्रदान करते स्वामी सतपाल ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने में संतों का अहम योगदान है। संतों का जीवन सदैव समाज कल्याण के लिए समर्पित रहता है। इस दौरान अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह, अपर जिला अधिकारी ललित नारायण मिश्रा, मेयर अनिता शर्मा, पूर्व सभासद अशोक शर्मा को फूलमालाएं पहनाकर व शाॅल ओढ़ाकर तथा स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। संतों ने कार्यक्रम में सम्मिलित हुए अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह, एडीएम ललित नारायण मिश्रा के समक्ष संत बाहुल्य क्षेत्र में गंगा घाटों का सौन्दर्यकरण व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की। इस अवसर पर मेयर अनिता शर्मा, पूर्व सभासद अशोक शर्मा, महंत कमलदास महाराज, स्वामी देवानंद सरस्वती, म.म.डा.स्वामी प्रेमानंद महाराज, महंत प्रेमदास महाराज, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेशदास, म.म.स्वामी प्रबोधानंद गिरी महाराज, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, भक्त दुर्गादास, संत जगजीत सिंह, ब्रह्मगिरी महाराज, मनोज जखमोला, पार्षद अनिल मिश्रा, आकाश भाटी, राजेश, सत्यप्रकाश जखमोला आदि सहित सैकड़ों भक्तजन मौजूद रहे।