भारत की पहचान है पतित पावनी मां गंगा-स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी
हरिद्वार। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि मां गंगा भारत की पहचान है। जो युगों से युगों से अविरल व निर्मल बहकर प्राणी मात्र का उद्धार करती चली आ रही है। मां गंगा की स्वच्छता, निर्मलताा बनाए रखना सभी का कर्तव्य है। श्री दक्षिण काली मंदिर के प्रांगण में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मानवीय भूलों के चलते पतित पावनी मां गंगा प्रदूषित हो रही है। सभी को मां गंगा के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए इसे स्वच्छ रखने के प्रयास मिलजुल कर करने होंगे। क्योंकि मां गंगा मोक्षदायिनी है। जिसके दर्शन व आचमन मात्र से ही प्राणी का कल्याण हो जाता है। ऐसी पतित पावनी मां गंगा की पवित्रता बनाए रखना सभी का दायित्व है। म.म.स्वामी कपिलमुनि ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के संरक्षण संवर्द्धन में महापुरूषों की अहम भूमिका है। राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने में संतों का अतुलनीय योगदान है। गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा ने कहा कि संतों का जीवन सदैव प्रेरणादायी होता है। महापुरूषों ने सदैव समाज का मार्गदर्शन कर नई दिशा प्रदान की है। उन्होंने कहा कि संतों के सानिध्य में ही व्यक्ति का कल्याण संभव है। सीओ सिटी अभय प्रताप सिंह ने भी मंदिर पहुंचकर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी से आशीर्वाद प्राप्त किया। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी के शिष्य अंकुश शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि म.म.स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी के जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर आद्य शक्ति महाकाली मंदिर में हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। कल (आज) पूज्य गुरूजी का 44वां जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। प्रातः से ही भगवान नागेश्वर महादेव का दुग्धाभिषेक व सुन्दरकाण्ड पाठ का आयोजन किया जाएगा। सायंकाल मंदिर प्रांगण में संत समागम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सभी संत महापुरूष भाग लेंगे। इस दौरान स्वामी अंबुजानंद, श्रीमहंत साधनानंद, महंत निर्मलदास, महंत प्रेमदास, आचार्य पवन दत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पाण्डे, पंडित शिवकुमार, पंडित विवेकानन्द ब्रह्मचारी, बाल मुकुन्दानंद ब्रह्मचारी, अनूज दुबे, अनूप भारद्वाज, समाजसेवी अतुल मगन, संजय जैन, गगन साहनी, सागर ओझा आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।