मनुष्य को आत्मिक शांति, सुख व कल्याण के लिए सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए-महंत रविन्द्रपुरी
हरिद्वार। श्री मंशा देवी प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम अवसर पर कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास पंडित ब्रह्मरात हरितोष (एकलव्य) ने श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा के तंदुल का सेवन कर उनका जीवन ही बदल दिया। कहा अगर मित्रता और प्रेम करो तो सदैव साथ देने वाले उस परम पिता परमात्मा से करो, जो सदगति प्रदान करता है। श्रीमदभागवत कथा परामात्मा का साक्षात स्वरूप है। भगवान भक्तों के लिए नंगे पैर दौड़ चले आते हैं। प्रभु प्रेम के भूखे हैं और कलिकाल में प्रभु नाम स्मरण में ही जीवमात्र का कल्याण है। भक्तिमय वातावरण में भगवान श्रीकृष्ण के सुंदर भजनों पर श्रद्धालु खूब झूमे। कथा व्यास पंडित ब्रह्मरात हरितोष ने कहा कि जो भी भागवत कथा का श्रवण करता है उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि जीवन में जितना अधिक सत्य होगा। हम उतने ही परमात्मा के अधिक निकट होंगे। सत्य ही परमात्मा को पाने की सीढ़ी है। संसार के पीछे भागने से अच्छा है परमात्मा के पीछे दौड़िये। परमात्मा के मिलते ही दुनिया आपके पीछे दौड़ेगी। मंशा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि मनुष्य को आत्मिक शांति, सुख व कल्याण के लिए सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए। अष्टांग योग के अभ्यास से मनुष्य ब्रह्म स्वरूप ईश्वर का चितन करते-करते ब्रह्म को ही प्राप्त होता है। श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि स्वधर्म के पालन से ही भक्ति, ज्ञान, कर्म व आध्यात्मिक उद्देश्य की प्राप्ति होती है व स्वधर्म का परित्याग करने पर किसी भी तरह के उद्देश्य की सफलता नहीं मिल पाती। मां मंशा देवी की असीम कृपा से पहली बार मंदिर के प्रांगण में महंतानी सरस्वती देवी की पुण्य स्मृति में कथा का आयोजन किया गया है। ट्रस्टी तरूण गांगुली, ट्रस्टी अनिल शर्मा व पंडित संतोष दीक्षित ने कथा में पधारे महंत लखन गिरी, महंत डोगर गिरी, स्वामी प्रबोधानन्द गिरी, वैष्णों देवी मंदिर के परमाध्यक्ष भक्त दुर्गादास महाराज, स्वामी जगदीशानंद, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी राजेंद्रानन्द, महंत शिवशंकर गिरी, स्वामी आशुतोष पुरी आदि सभी महापुरूषों का फूलमालाएं पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर प्रमोद शर्मा अभिषेक शर्मा, दुर्गेश भाटिया, मनोज शास्त्री, देवेंद्र पाण्डेय, आशीष कश्यप, प्रेम बहादुर, राजन, नीरज गिरी, चिन्तन भगत, पवन देव, पंडित अजीत कुमार आदि मौजूद रहे।