कलयुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर पार हो जाता है-म.म.स्वामी बालकानन्द गिरी

हरिद्वार। आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य म.म.स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। इसलिए सद्गुरू की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है। भूपतवाला स्थित हरिधाम सनातन सेवा ट्रस्ट आश्रम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लोकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते थे। कलयुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर के पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि विश्व को कोरोना महामारी से निजात मिले इसके लिए धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन बेहद जरूरी है। निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ म.म.स्वामी सोमेश्वरानन्द गिरी महाराज ने कहा कि कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है। जब हम इसे अपने जीवन व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनन्दमय व मंगलमय बनाकर आत्मकल्याण करें। कथा व्यास आचार्य राजेश कृष्ण ने कहा कि भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भावगत कथा मोक्षदायिनी है। इसके श्रवण से राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। कलियुग में भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से व्यक्ति को भगवान के दर्शन होते हैं। इस अवसर पर श्रीमहंत सत्यानन्द गिरी, स्वामी सोनू गिरी, स्वामी नत्थीनंद गिरी, आचार्य मनीष जोशी, महेश योगी, सुनील दत्त नंदकिशोर, सुनील कुमार आदि मौजूद रहे।