मानदेय बढ़ाने सहित विभिन्न मांगो को लेकर भोजनमाताओं ने भेजा ज्ञापन
हरिद्वार। प्रगतिशील भोजन माता संगठन के बैनर तले भोजनमाताओं ने जिलाधिकारी के माध्यम से श्रम सचिव को ज्ञापन भेजा। इस दौरान मुख्य शिक्षा अधिकारी को भी ज्ञापन दिया गया। गुरूवार को हुई भोजनामाताआंे की सभा में प्रगतिशील भोजनमाता संगठन हरिद्वार इकाई की अध्यक्ष दीपा ने कहा कि केंद्र सरकार कि मिड-डे-मील की योजना को सरकार ने स्कूलों में लागू किया था। इसके लिए सरकार ने छात्रों के लिए स्कूल में खाना बनाने हेतु भोजनमाताओं को काम पर रखा था। भोजन माताओं को जो खाना बनाने के एवज में सुविधाएं दी जा रही है वह इन भोजनमाताओं के साथ एक भद्दा मजाक है। भोजन माता पार्वती ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने न्यूनतम मजदूरी 8500 के लगभग कर रखा है। लेकिन भोजनमाताओं को 2000 ही मानदेय दिया जा रहा है। और स्कूलों में खाना बनाने के अतिरिक्त स्कूलों के मैदानों व कमरों की साफ-सफाई तक कराई जा रही है। जबकि स्कूलों में काम करने के लिए 1 से ढाई घंटे तक का निर्देश लागू है। जबकि इससे कहीं अधिक समय पर स्कूल में रोका जाता है। भोजनमाता माला ने कहा कि 11 जनवरी 2020 को उत्तराखंड शिक्षा निदेशक ने सरकार को 2000 से बढ़ाकर 5000 मानदेय देने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। लेकिन अभी तक हमारी समस्त मांगों व समस्याओं पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है। ज्ञापन में भोजनमाताओं को स्थाई किये जाने, भोजनमाताओं को वेतन, बोनस व ड्रेस का शीघ्र भुगतान करने, अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा बनाए गए खाने पर रोक लगाने, उत्तराखंड के सभी स्कूलों में गैस की सुविधा उपलब्ध कराने, ईएसआई, पीएफ, पेंशन, प्रसूति अवकाश जैसी सुविधाएं भोजनमाताओं को दिए जाने, क्वारंटाइन सेंटरों में लगी भोजनमाताओं को अतिरिक्त सहयोग राशि व जीवन बीमा कराए जाने की मांगें शामिल हैं। ज्ञापन देने वालों में सुमन, राखी, नीता, शिक्षा, लीला, गुड्डी, रिंकू, गीता, कुसुम, निशा, पूनम, मालती, हमीदा, बाला देवी, सीमा, हेमा, बबीता, हंशी, रेशों, नीता, ललिता रचना, संजय, माया आदि शामिल रही।