शोध का उद्देश्य मानव एवं राष्ट्र कल्याण होना चाहिए -आदेश चैहान
हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में शोध प्रविधि एवं प्रकाशन नैतिकता पर छह दिवसीय कार्यशाला शुक्रवार से आरंभ हुई। कार्यशाला का उद्देश्य शोधकर्ताओं के मध्य शोध की आधुनिकतम प्रविधियों एवं शोध प्रकाशन से जुड़े नैतिकता मानकों के ज्ञान संवर्द्धन है। उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं शोध केंद्र द्वारा प्रायोजित इस कार्यशाला में देशभर से सौ से अधिक शोध अध्येता एवं शिक्षक भाग ले रहे हैं। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि रानीपुर विधायक आदेश चैहान ने कहा कि शोध का उद्देश्य मानव एवं राष्ट्र कल्याण होना चाहिए तथा शोध को कभी आधा समाधान प्रस्तुत नहीं करना चाहिए। शोध को संपूर्ण समाधान प्रस्तुत करना चाहिए। कहा कि अतीत में भारतीयों की वैज्ञानिक जीवन शैली थी। जिसके कारण हम अपनी समस्याओं के समाधान करने में भी समर्थ थे। विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. डीपी त्रिपाठी ने कहा कि अतीत में भारत ने शोध के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व किया है। वर्तमान में भारतीय अनुसंधान को विश्वपटल पर लाना होगा। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि हमें शोध को वैश्विक मानकों के अनुरूप करना होगा तथा अनुसंधान के लिए स्वतन्त्र चिंतन आवश्यक होता है। उन्होंने शोध को व्यापक परिप्रेक्ष्य में करने पर बल देते हुए कहा कि शोध के बीजाकुंर को नवीन प्रविधियों के सहायता से पोषित करना प्रत्येक शोधकर्ता का अनिवार्य धर्म होता है। कार्यशाला में क्वांटम यूनिवर्सिटी रुड़की के कुलपति प्रो. विवेक कुमार ने कहा कि अतीत में हुए आक्रमणों के कारण हमारे मूल्यवान मूल शोध ग्रंथ नष्ट हो गए थे। शोध के माध्यम से हम भारत की गौरवशाली शोध परंपरा की प्राण प्रतिष्ठा कर सकते हैं। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि शोध का उद्देश्य लोक कल्याण का होना चाहिए जो शोध विनाश को बढ़ावा दे उसको निरुत्साहित किया जाना चाहिए। प्रो.शास्त्री ने कहा कि उत्कृष्ट शोध के लिए मौलिक चिन्तन का होना अनिवार्य है किसी भी शोधकर्ता को लेखन से अधिक मौलिक चिन्तन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। आईक्यूएसी के निदेशक प्रो. आरसी दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर शोध और प्रकाशन किसी भी विश्वविद्यालय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु हैं। कार्यशाला के समन्यवक डॉ. हेमवती नंदन ने कहा कि शोध सत्य का प्रकटीकरण का साधन है। शोध के माध्यम से सत्य उद्घाटित किया जा सकता है। प्रो. एलपी पुरोहित ने अतिथियों का स्वागत एवं कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार ने आभार व संचालन डॉ. हिमांशु पण्डित ने किया।