परोपकार और त्याग की प्रतिमूर्ति थे साकेतवासी हीरानंद कटारिया-महंत अरूण दास
हरिद्वार। भीमगोड़ा स्थित जगन्नाथ धाम के परमाध्यक्ष महंत अरूणदास महाराज ने कहा कि आश्रम के ट्रस्टी साकेतवासी हीरानंद कटारिया परोपकार और त्याग की प्रतिमूर्ति थे। आश्रम की उन्नति में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। ट्रस्टी हीरानंद कटारिया की दूसरी पुण्यतिथी पर आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए महंत अरूणदास महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में ही व्यक्ति का कल्याण संभव होता है। संत महापुरूष ही भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर सत्य के मार्ग पर अग्रसर करते हैं। उन्होंने कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में ट्रस्टी हीरानंद कटारिया ने आश्रम की उन्नति के साथ दीन दुखियों व जरूरतमंदों की सेवा में अतुलनीय योगदान दिया। जिससे सभी को प्रेरणा मिलती है। स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज व स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि सदैव परोपकार के लिए जीवन व्यतीत करने वाले संत महापुरूषों के सानिध्य में व्यक्ति का जीवन पूरी तरह बदल जाता है और सेवा परोपकार जैसे गुण विकसित होते हैं। जगन्नाथ धाम के ट्रस्टी साकेतवासी हीरानंद कटारिया ने संत महापुरूषों से मिले ज्ञान व आदर्शो को अपनाकर राष्ट्र निर्माण में अतुलनीय योगदान दिया। इस अवसर पर पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी,महंत जसविन्दर सिंह,स्वामी हरिहरानंद,स्वामी ऋषि रामकृष्ण,स्वामी शिवानन्द,महंत निर्मलदास, स्वामी दिनेशदास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि,महंत रघुबीर दास,महंत बिहारी शरण,महंत सूरजदास,महंत प्रह्लाद दास, महंत रामानंद सरस्वती सहित कई संत महापुरुष व पार्वती कटारिया, पंकज कटारिया,सचिन कटारिया, जगदीश पाण्डे, प्रकाश बग्गा, सेठ किशन गोपाल आदि श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।