हमारी मातृभाषा हिन्दी सरलता,सरसता एवं निजता का अनुभव कराती है-डॉ0दीनानाथ शर्मा


हरिद्वार। स्वामी श्रद्धानन्द की तपस्थली कर्मभूमि गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार में महर्षि दयानन्द द्वारा हिन्दी के सम्मान में प्रदत्त सूत्र आर्य भाषा (हिन्दी) ही देश को एकता के सूत्र में बांध सकती है, आर्य भाषा में ही इस देश भारत का कल्याण छिपा है। हिन्दी भाषा के द्वारा समस्त भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। जिस देश की शान मेरी मातृभाषा, हिन्दी है इस महान, विचार सरणी को समादृत कर हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय में हिन्दी दिवस के कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे विद्यालय के लगभग 33 छात्रों ने भाग लिया, प्रतियोगिता जूनियर, माध्यमिक एवं उच्चत्तर माध्यमिक वर्ग में आयोजित हिन्दी दिवस के कार्यक्रम में विद्यालय के निम्न छात्रों-जूनियर वर्ग में-कक्षा तृतीय-अभिनव,यश,प्रीतम,जय। कक्षा चतुर्थ-विवेक,हैप्पी,रूद्र,प्रिंस,समीर, कार्तिक। कक्षा पंचम-वीरेन,केशव,ईशान,भाग्य।माध्यमिक वर्ग में-कक्षा षष्ठ-कृष्णा,परमवीर,वंश गिरी,लक्की ।कक्षा सप्तम-सक्षम। कक्षा अष्टम-कृष्णा,ऋतिक,कार्तिक ठाकुर,प्रणय,अर्जुन धामा,समीर राज। उच्चत्तर माध्यमिक वर्ग में-कक्षा दशम-नकुल,देवांश,आरूष,प्रेम,प्रियांश। एकादश-कुशाग्र,आर्यन, अनमोल।कक्षाद्वादश-अविरल,वंशज,गौरव, ऋषभ ,आदित्य ,नमन ,गगन ,आदि ने कविता एवं अपने विचार प्रस्तुत किये। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्याधिष्ठाता डॉ॰ दीनानाथ शर्मा ने हिन्दी को राष्ट्र का गौरव बताते हुए कहा कि हमारी मातृभाषा हिन्दी सरलता,सरसता एवं निजता का अनुभव कराती है, तथा हिन्दी भाषा का प्रयोग एवं परस्पर व्यवहार हमें गौरव की अनुभूति कराता है। उन्होने इस अवसर पर कहा कि वर्ष भर विशुद्ध हिन्दी भाषा का प्रयोग करने वाले छात्रों को पुरस्कृत किया जायेगा। सहायक मुख्याधिष्ठाता डॉ॰ नवनीत परमार ने भी हिन्दी भाषा के सम्मान में अपने विचारों से भाव विभोर कर दिया। उन्होने महर्षि दयानन्द को हिन्दी भाषा का संरक्षक एवं संवर्धक बताते हुए कहा कि ऋषि दयानन्द स्वयं गुजराती होते हुए उन्होने वेद भाष्य एवं अपने ग्रंथो की रचना हिन्दी भाषा में की जो उनके हिन्दी प्रेम को दर्शाता है। प्रधानाचार्य डॉ॰ विजेन्द्र शास्त्री ने कहा कि आजादी के बाद 15 वर्षों तक हिन्दी भाषा को अंग्रेजी भाषा के स्थान पर लागू न करना उस समय के राजनायिकों की बड़ी भूल थी,इन वर्षों में अंग्रेजी ने अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया, हिन्दी भाषा को संस्कृत भाषा के साथ समन्वित करते हुए अपने कार्यों एवं व्यवहार में हिन्दी का शुद्ध आचरण करने पर बल दिया। हिन्दी दिवस कार्यक्रम के संयोजक एवं कार्यक्रम का संचालन हिन्दी प्राध्यापक अशोक कुमार आर्य एवं दीप कमल के निर्देशन में बाल-प्रतिभा-सभा के महामंत्री ब्रह्मचारी अविरल वर्मा-द्वादश ने किया। कार्यक्रम की व्यवस्था लोकेश शास्त्री (पी.टी.आई.) एवं बाल-प्रतिभा-सभा के सभी छात्रों ने मिल कर की। इस अवसर पर विद्यालय के जितेन्द्र कुमार वर्मा,डॉ0हुकमचन्द,अश्विनी कुमार,डॉ0 बृजेश कुमार,अमर सिंह,वेदपाल सिंह,अमित कुमार,राजकमल,विजय कुमार,धर्म सिंह ,गौरव शर्मा,धीरज कौशिक ,सज्जन सिंह, मामराज आदि उपस्थित रहे।