पतंजलि अनुसन्धान केंद्र और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के बीच में एमओयू का करार

 हरिद्वार। पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इन्स्ट्रीटयूट और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गंगा बेसिन क्षेत्र में प्राकृतिक कृषि का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान पतंजलि अनुसन्धान केंद्र और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के बीच में एमओयू का करार भी हुआ। यह करार सांस्कृतिक और पर्यटन, आजीविका सृजन के अवसर, वनरोपण अभियान व प्रशिक्षण और कौशल विकास और किसानों की आय के लिए एमओयू साइन किया गया है। सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि पतंजलि अनुसन्धान केन्द्र और नेशनल मिशन ऑफ क्लीन गंगा इन दोनों के बीच में जो एमओयू का करार हुआ है, यह इतिहासिक अवसर है। पतंजलि संस्थान का बदलते भारत के एक महत्वपूर्ण पक्ष डिजिटल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में किये गये कार्यों में नूतन और वैज्ञानिक प्रयोगों तथा आत्मनिर्भर भारत के प्रयास को बल देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित कृषि को मजबूत बनाने की पहल सराहनीय है। पतंजलि संस्थान अर्थ गंगा का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए गंगा के ही एसईपी प्लांटस के स्लज से निर्मित जैविक खाद गंगा के क्षेत्र में उपलब्ध् करवाएगा। इसके अतिरिक्त सांस्कृतिक और पर्यटन, आजीविका सृजन के अवसर, वनरोपण अभियान व प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए पतंजलि तथा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) एक एमओयू (एमओयू) साइन कर रहे है। योगगुरु रामदेव ने कहा कि गंगा एक शब्द नहीं हैं। गंगा पर आधारित पूरी एक अर्थव्यवस्था हैं। अब हमें सनातन संस्कृति मूलक समृद्धि के नये शिखर गढ़ने होगें। गुलामी की निशानियों को तोड़ते हुए अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोते हुए, हमें विकास के नये कीर्तिमान गढ़ने की आवश्यकता है। पतंजलि ने आर्थिक गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर, आत्मनिर्भरता का नया इतिहास लिखा है। इस देश को आर्थिक गुलामी के साथ-साथ शिक्षा, चिकित्सा की गुलामी से बाहर निकालने का काम पतंजलि कर रही है। भारत सरकार चाहे तो गंगा के किनारों को एडवंचर के रूप में भी विकसित कर सकती है। इसके लिए पतंजलि अपना योगदान देने के लिए तत्पर है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि ने बीते 20 वर्षों में कई वनस्पतियों की खोज की हैं व नये फ्लोरा तैयार किये हैं, जो कभी सूचीबद्ध ही नहीं थे। जिनका नामकरण पतंजलि द्वारा किया गया है। जिसको वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया जाता है। इस दौरान मंत्री ने नेचुरल फार्मिंग इन गंगा बेसिन रीजन किताब का विमोचन भी किया।