ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य पद को लेकर बेबुनियाद विवाद खड़ा करने का मातृसदन ने लगाया आरोप
हरिद्वार। मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती ने निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी (निरंजनी अखाड़ा) पर ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य पद को लेकर बेबुनियाद विवाद खड़ा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि स्वामी कैलाशानंद निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बनने के बावजूद दक्षिण काली पीठ मंदिर पर कब्जा किए हुए हैं, जो कि अग्नि अखाड़े की संपत्ति है। यदि उनमें नैतिकता है तो वह अग्नि अखाड़े की संपत्ति को वापस कर दें। सोमवार को मातृसदन में प्रेस वार्ता करते हुए स्वामी शिवानंद ने बताया कि कैलाशानंद गिरि का एक लिखित दस्तावेज हमारे पास है जिसमें एक पेज में 11 गलतियां हैं और यह शंकराचार्य के पद के लिए खुद को आगे कर रहे हैं। आरोप लगाया कि कैलाशानंद गिरि रसानंद की जमीन को खुर्द-बुर्द करने की कोशिश कर रहे हैं। आरोप लगाया कि कैलाशानंद गिरि ठीक तरह से संस्कृत भी नहीं बोल पाते वह शंकराचार्य पद के लिए शास्त्रार्थ करने की बात कह रहे हैं। बताया कि काशी विद्वत परिषद् को 100 वर्ष हुए हैं। जबकि शंकराचार्य की परंपरा 2500 वर्ष पुरानी है। कहा कि परिषद् में कोई संन्यासी नहीं है। जो संन्यासी नहीं है, वह संन्यासी का चयन कैसे कर सकते हैं वह भी शंकराचार्य का। उन्होंने कहा कि स्वामी यतिश्वरानंद जो कि आर्य समाजी हैं, वे शंकराचार्य चयन में कैसे कूद रहे हैं। ये लोग धर्म को कुछ समझते नहीं हैं। स्वामी शिवानंद ने आनंद स्वरूप पर कई सवाल खड़े किए। कहा कि इनमें से कोई भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बराबर नहीं है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में महानिर्वाणी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को लिखित में समर्थन दिया है। इस दौरान अग्नि अखाड़े के पीठाधीश्वर और निरंजनी, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर भी मौजूद थे, सब ने उन्हें समर्थन दिया, तो अकेले रविंद्र पुरी के बोलने से कुछ नहीं होता।