विवेकानंद के विचारों पर अमल करना युवाओं का दायित्व है- विजेन्द्र पालीवाल

 


हरिद्वार। स्वामी विवेकानन्द के 160वीं जन्म जयंती के अवसर पर देश भर में मनाये गये राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर अध्यात्म चेतना संघ (पंजी.) द्वारा सेक्टर-आठ (बी) सिडकुल स्थित ओम इंडस्ट्रीज के सभागार में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किय गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में ‘स्वामी विवेकानंद के विचारों की वर्तमान समय में युवाओं के लिए प्रासंगिकता‘ विषय पर अपने विचार रखते हुए विद्या विहार एकेडमी से शिक्षाविद विजेंद्र पालीवाल ने कहा कि, ‘‘स्वामी विवेकानंद जी के लिए देश और धर्म दोनों ही प्रथम थे,लेकिन आज के समय में यह युवाओं का उत्तरदायित्व है, कि वह विवेकानंदजी के राष्ट्रीय,सामाजिक और धार्मिक विचारों को अपने गली, मोहल्लों से शुरुआत करके राष्ट्रीय स्तर तक आत्मसात करें और उन्हें अमल में भी लाएं।‘‘ स्वामी विवेकानंद जी के विषय में चर्चा करते हुए अध्यात्म चेतना संघ के संचालक एवं संस्थापक आचार्य पं. करुणेश मिश्र ने कहा कि,‘‘स्वामी विवेकानंद एक ऐसी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे, जिनके नाम से आज उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस की पहचान होती है। रामकृष्ण परमहंस ने न केवल विवेकानंद जी को ज्ञान प्रदान किया, बल्कि उन्हें महाकाली के साक्षात दर्शन भी करवाए।‘‘ समाजसेवी जगदीश लाल पाहवा जी ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए युवाओं से नशा मुक्ति के लिए संकल्प लेने का आह्वान किया। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे मनोज गौतम ने युवाओं से धर्म को सही रूप में परिभाषित करके अपनाने और उसका प्रचार प्रसार करने की अपील की। कवि एवं साहित्यकार तथा चेतना पथ के संपादक अरुण कुमार पाठक ने स्वामी विवेकानन्द के व्यक्तित्व एवं कृतित्व आधारित काव्य रचना ‘विश्व के नाथ का बेटा वह भुवनेश्वरी दुलारा था‘ प्रस्तुत की। आचार्य पं. करुणेश मिश्र के संचालन में सम्पन्न इस विचार गोष्ठी में अशोक कुमार गुप्ता, भूपेन्द्र कुमार गौड़,योगेश शर्मा, हरिराम कटियार आदि वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे, जबकि डा. संध्या शर्मा, अर्चना वर्मा, रश्मि धीमान, शैलेन्द्र दत्ता आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।