भव सागर की वैतरणी है श्रीमद् भागवत कथा-श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह


 हरिद्वार। खड़खड़ी स्थित भगवान आश्रम में आयोजित श्रीमद ्भागवत कथा के विश्राम अवसर पर संत समागम का आयोजन किया गया। आश्रम के परमाध्यक्ष सांसद हरिसच्चिदानंद साक्षी महाराज के सानिध्य में आयोजित संत समागम के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि भव सागर की वैतरणी श्रीमद् भावगत कथा ज्ञान का अथाह सागर है। जिसे जितना ग्रहण करो जिज्ञासा उतनी ही बढ़ती ही जाती है। उन्होंने कहा कि गंगा तट पर संतों के सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन और श्रवण दोनों ही विशेष पुण्य फलदायी है। सांसद हरिसच्चिदानंद साक्षी महाराज ने उपस्थित संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि निर्मल जल के समान जीवन व्यतीत करने वाले संत महापुरूषों के सानिध्य में ही भक्त के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि संतों के सानिध्य में श्रीमद ् भागवत कथा के श्रवण से मिले ज्ञान को आचरण में धारण कर मानव कल्याण में योगदान करें, तभी कथा श्रवण की सार्थकता है। स्वामी आदियोगी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा परम कल्याणकारी है। उन्होंने कहा कि अध्यात्म व धर्म का प्रचार प्रसार कर समाज का मार्गदर्शन करने में संत समाज की अहम भूमिका है। स्वामी हरिसच्चिदानंद साक्षी महाराज सनातन धर्म के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान करने के साथ सेवा प्रकल्पों के माध्यम से समाज कल्याण में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान का वह भण्डार है। जिसे जितना ग्रहण करो जिज्ञासा उतनी हुई बढ़ती जाती है। सभी को सद्गुरू के सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। इस अवसर पर महंत अमनदीप सिंह, महंत खेम सिंह, महंत निर्भय सिंह, स्वामी नागेंद्र ब्रह्मचारी सहित कई संत महापुरूष व श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।