रामचरितमानस के अखंड पाठ के समापन पर किया गया बद्रीश पंचायत का पूजन,
हरिद्वार। जिस तरह से उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित भगवान बद्रीनाथ धाम मंदिर के कपाट हर साल श्रद्धालुओं के लिए गंगासप्तमी के दिन खोले जाते हैं, उसी तरह से हरिद्वार कनखल में भी बद्रीश पंचायत के कपाट गंगा सप्तमी के दिन है पूरे वैदिक विधि विधान के साथ खोले जाते हैं। गंगा सप्तमी के दिन बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ-साथ कनखल में गंगा तट पर स्थित राजघाट में बद्रीश पंचायत के कपाट पूरे विधि विधान के साथ खोले गए और इस अवसर पर श्रीरामचरितमानस का अखंड पाठ आयोजित किया गया और जिसका आज समापन हुआ। उसी के साथ भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करने के बाद कनखल के बद्रीश पंचायत के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए इस तरह भगवान शंकर की ससुराल कनखल में श्री नारायण साक्षात विराजते हैं। बद्रीश पंचायत मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित गजेंद्र जोशी ने बताया कि हर साल बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ कल ही कनखल के राजघाट में गंगा तट पर बद्रीश पंचायत मंदिर के कपाट विधि विधान से खोले जाते हैं और जो प्रसाद बद्रीनाथ धाम में भगवान श्री नारायण को लगाया जाता है, वैसा ही भोग कनखल की बद्रीश पंचायत में भगवान श्री नारायण को लगाया जाता है। इस अवसर पर भंडारे का आयोजन किया जाता है। बद्रीश पंचायत मंदिर की स्थापना करीब 100वर्ष पूर्व पंडित आचार्य इंद्रमणि महाराज ने की थी उन्हें भगवान बद्रीनाथ ने सपने में दर्शन दिए। कनखल में गंगा तट पर बद्रीश पंचायत मंदिर की स्थापना करने का निर्देश दिया। अगले दिन आचार्य इंद्रमणि महाराज कनखल से पैदल बद्रीनाथ धाम पहुंचे और वहां उन्होंने भगवान बद्रीनाथ धाम के दर्शन किए। उन्होंने बद्रीनाथ धाम के विग्रह की तरह कनखल में गंगा तट पर मंदिर का निर्माण किया और उसमें बद्रीश पंचायत का विग्रह स्थापित किया। पंडित गजेंद्र जोशी बताते हैं कि पहले बद्रीनाथ की यात्रा हरिद्वार के कनखल स्थित बद्रीश पंचायत से ही शुरू होती थी भगवान बद्रीश पंचायत के दर्शन करके श्रद्धालु अपनी यात्रा कनखल से शुरू करते थे और यात्रा खत्म होने के बाद फिर बद्री पंचायत कनखल में वापस आकर अपना शीश नवाते थे। आज बड़ी तादाद में बद्रीश पंचायत कनखल के कपाट खुलने पर श्रद्धालुओं ने दर्शन किए और मन्नत मांगी। मान्यता है कि जो व्यक्ति बद्रीनाथ धाम नहीं जा सकते वे, यदि कनखल में बद्रीश पंचायत दर्शन करेंगे तो उन्हें भगवान श्री नारायण की पूरी कृपा प्राप्त होगी और उन्हें कष्टों से छुटकारा मिलेगा।