हरिद्वार। भगवान की शोभायात्रा में सम्मिलित होने वालों के सौभाग्य के द्वार खुल जाते हैं और अंतःकरण में सकारात्मकता का संचार होता है। जो श्रद्धालु भागवत भगवान की शोभा यात्रा में सम्मिलित होकर सात दिन तक नियमित भगवतवाणी का श्रवण करते हैं। उनका शेष जीवन सुधर जाता है। उक्त उद्गार श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने राजा गार्डन स्थित हनुमान मंदिर हनुमत गौशाला में गुरु पूजन महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के शुभारंभ पर आयोजित शोभायात्रा में सम्मिलित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। श्रीमद्भागवत को भगवान की वाणी बताते हुए स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर अधर्म और अत्याचार बढ़ते हैं तो भगवान स्वयं अवतरित होकर सृष्टि का कल्याण करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा था कि कलयुग में वे श्रीमद्भभागवत में विद्यमान रहेंगे और जो भक्त श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन अथवा श्रवण करेंगे उनका कल्याण अवश्य होगा। भागवत कथा के श्रवण का महत्व समझाते हुए उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कलयुग का वह कल्पतरु है। जिसकी छाया में बैठने मात्र से व्यक्ति का यह लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं। श्रीमद्भागवत को सभी ग्रंथों का सार बताते हुए उन्होंने कहा कि ऋषि वेदव्यास ने जब वेद उपनिषदों की रचना की तो उन्हें कुछ ऐसा लगा कि एक ऐसे ग्रन्थ की आवश्यकता है। जिसमें सभी ग्रंथों का सार समाहित हो। इसी प्रेरणा को लेकर उन्होंने श्रीमद् भगवद ्गीता की रचना की। उन्होंने कहा कि पहली श्रीमद् भागवत कथा हरिद्वार के गंगा तट पर आनंदवन में सुनाई गई थी। इसलिए हरिद्वार में कथा श्रवण का विशेष महत्व है।
भगवान की वाणा है श्रीमद् भागवत कथा-स्वामी विज्ञानानंद