तपोबल साधक की अंतर्शक्ति को संबल प्रदान करता है -म.म.विज्ञानानंद जी महाराज

 हरिद्वार। श्रीमद्भागवत भक्त और भगवान की कथा है,जो भक्त संपूर्ण भागवत का नियमानुसार श्रवण करता है वह नर से नारायण स्वरूप बन जाता है। उक्त उद्गार हैं श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वतीजी महाराज के जिन्होंने राजा गार्डन स्थित श्री हनुमान मंदिर हनुमत गौशाला में भागवत कथा की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। श्रीहरि के चौबीस अवतारों की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर जैसा संकट आया भगवान ने वैसा ही स्वरूप धारण कर उसका समाधान किया। चार विप्र और दो भूपों में से द्वापर के अवतारी भगवान श्रीकृष्ण को श्रीहरि का संपूर्णावतारी बताते हुए कहा कि भक्तों को जिस रूप में भगवान की आवश्यकता हुई भगवान ने उसी रूप में भक्तों की सहायता की और भक्तों का सम्मान करने के लिए उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा भी बदली। श्रीमद्भागवत के श्रवण को जीवनोपयोगी बताते हुए उन्होंने कहा कि अहंकार व्यक्ति के पतन का कारण बनता है तो तपोबल साधक की अंतर्शक्ति को संबल प्रदान करता है,लेकिन जो भक्त कर्म को प्रधान मानते हुए स्वयं को भगवान की शरण में ले जाता है उसके जीवन की सभी दुश्वारियां दूर हो जाती हैं। राजा परीक्षित,अश्वत्थामा,कौरव-पांडव एवं द्रोपति के वृतांत सुनाते हुए उन्होंने कहा कि कौरव और पांडव दोनों भगवान की शरण में गए ।कुंती ने भी कृष्ण की स्तुति की तो द्रोपती ने अपने परिवार के स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण से सहायता की गुहार लगाई। भागवत श्रोताओं को योग एवं आध्यात्मिक चेतना के प्रणेता महामंडलेश्वर स्वामी जयदेवानंद सरस्वती ने भी अपने आशिर्वचनों से अभिसिंचित किया।