मां जगदम्बा का स्मरण करने मात्र से ही पापों का क्षय होता है-स्वामी हरिचेतनानंद
हरिद्वार। खड़खड़ी स्थित निर्धन निकेतन आश्रम में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा के दौरान कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने श्रद्धालुओं को देवी की महिमा से अवगत कराते हुए कहा कि जितनी अधिक भक्ति एवं श्रद्धा के साथ कथा श्रवण एवं मनन करोगे मां की उतनी ही अधिक कृपा प्राप्त होगी। श्रीमद् देवी भागवत कथा मोक्ष दायिनी मंदाकिनी है। इसमें जितना अधिक गोता लगाओगे उतनी ही अधिक आध्यात्मिक चेतना एवं शांति की प्राप्ति होगी। आठवें दिन की कथा का श्रवण कराते हुए स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि मां जगदम्बा के सती स्वरूप का स्मरण करने मात्र से ही पापों का क्षय होकर पुण्यों का उदय होता है। स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने बताया कि जब भगवान शिव सती के शव को लेकर जा रहे थे। तब भगवान विष्णु के चक्र से सती के अंगों के टुकड़े होकर जहां-जहां गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई है। शक्तिपीठों के दर्शन एवं स्मरण मात्र से ही पापों से मुक्ति मिल जाती है। महासती सावित्री की मर्मस्पर्शी कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा सती में ब्रह्मांड तक को चुनौती देने की शक्ति होती है। पति को परमात्मा मानकर मन वचन एवं कर्म के साथ सती धर्म निभाने वाली सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण साक्षात यमराज से वापस लाकर एक आदर्श नारी की मिसाल प्रस्तुत की है। सतियों का नमन भी मन को शांति प्रदान करता है। आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज ने कहा कि संसार की संरचना का मुख्य केंद्र नारी शक्ति है। बिना नारी शक्ति के सृष्टि का निर्माण संभव नहीं है। श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा इसी यथार्थ को वर्णित करती है। श्रीमद् देवी भागवत महापुराण को पढ़ने एवं सुनने से समस्त कष्टों का निवारण हो जाता है। पुराण भगवान से मिलने का सुगम साधन है। आवश्यकता सिर्फ इस बात की है कि मन में दृढ़ संकल्प हो और परमात्मा पर पूर्ण विश्वास हो तो आराधना,साधना अवश्य साकार होती है। इस अवसर पर स्वामी शिवानंद भारती, सतपाल ब्रह्मचारी,महंत रघुवीर दास,महंत सूरजदास,महंत शिवम गिरी,पंडित अमित थपलियाल, ट्रस्टी नरेंद्र कपूर,विजय सिंहला,जीवन गोयल,प्रेमदत्त,ज्ञानचंद,सीता देवी व बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।