हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में जनसंचार के पारंपरिक और आधुनिक प्रकल्प एवं विकास पत्रकारिता विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष लखनऊ विवि के हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.सूर्य प्रसाद दीक्षित ने अपने वक्तव्य में कहा कि आधुनिक युग में हिंदी पत्रकारिता का स्थान सर्वोपरि है। आज पत्रकारिता के विकास से रोजगार की संभावनाएं तीव्र गति से बढ़ रही है। हिंदी पत्रकारिता के विकास से जहां आज मानव मस्तिष्क में ज्ञान की अभिवृद्धि हो रही है वहीं साहित्य कोश भी अपनी अविरल धारा को आगे बढ़ा रहा है। जनसंचार के आधुनिक प्रकल्प आज के वैज्ञानिक युग में युवाओं को जिज्ञासुवान बना रहे है। प्रो.दीक्षित ने कहा कि आज भारतीय पत्रकारिता का विकास लोक भाषाओं के लिए सबसे सफलतम मार्ग हैं। विचार संप्रेषण की यह परिपाटी भारतीय भाषाओं को विश्व स्तर पर प्रथम पंक्ति पर लाने की सफलतम नीति है। आज पत्रकारिता से जहां एक नई क्रांति उत्पन्न हुई है, वहीं समाज में व्याप्त रूढ़िवादी परंपराओं पर कुठाराघात भी हुआ है। हिंदी पत्रकारिता के सोपान आज अपनी चरमोत्कर्षता को प्राप्त कर रहे है। उन्होंने कहा कि आज का युग पत्रकारिता का युग है,स्वच्छ निश्छल पत्रकारिता से ही मानव सभ्यता का विकास एवं सामाजिक कल्याण संभव है। प्रिंट मीडिया, संवाददाता,अनुवादक आदि पत्रकारिता के चरणबद्ध सोपान है। हिंदी समाचारपत्रों, पत्रिकाओं आदि को पढ़ने वालों की संख्या में दिनोंदिन वृद्धि होती जा रही है। यह हमारे लिए गौरव की बात है। हिंदी साहित्य के परिप्रेक्ष्य में अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि हिंदी भाषा की देवनागरी लिपि विश्व की वैज्ञानिक लिपि है। जिसमें शब्द को जिस प्रकार बोला जाता है। उसी प्रकार लिखा जाता है, यह गौरव हिंदी भाषा को ही प्राप्त है। हिंदी भाषा का हृदय इतना विशाल है कि उसने बड़ी सहजता से अन्य भाषा के शब्दों को भी अपने अन्तःकरण में समाहित कर लिया है। जो उच्चारण, लेखन आदि में हिंदी के ही लगते है। आज की नीति परक शिक्षा नीति में हिंदी भाषा का अमूल्य योगदान है। प्रो.दीक्षित ने कहा कि उन्हें छात्रों के साथ संवाद संप्रेषण करने में बड़ी प्रसन्नता हुई। युवा पीढ़ी के साथ सुखद अनुभूति का आभास स्वतःही जाग्रत होने लगता है। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डा.उमेश कुमार शुक्ल ने प्रो.सूर्य प्रसाद दीक्षित के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रो. दीक्षित हिंदी और पत्रकारिता के स्तंभ है। जिनकी वाणी से ज्ञान की अविरल धारा प्रवाहित होती है। आपका साहित्य का ज्ञान उस विशाल रत्नाकर के समान है। जिनसे विद्यार्थियों को अमूल्य मणिरत्न प्राप्त होते है। डा.नीरज चौहान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने गुरू की महिमा पर प्रकाश डालते अपनी एक स्वरचित कविता का पाठ भी किया। इस अवसर पर ललित शर्मा,कपिल शर्मा,रितेश तिवारी,गिरिश सती,निधि,मृत्युंजय, चंद्रमोहन,रितेश तिवारी,विवेक जोशी,रश्मि, वंश शर्मा आदि उपस्थित रहे।