आयुर्वेद की शक्ति को विदेशी वैज्ञानिक भी स्वीकार कर रहे हैं-आचार्य बालकृष्ण

 हरिद्वार। आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने अनेकों जड़ी-बूटियों पर अनुसंधान कर नवीन गुणकारी औषधियों का निर्माण किया है। आयुर्वेद की औषधीय क्षमता के परीक्षण हेतु आस्ट्रेलिया की स्वीनबर्न यूनिवसिर्टी के प्रोफेसरों व पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा अनुसंधान किया गया कि किस प्रकार से आयुर्वेदिक दवाइयां शरीर के अच्छे लाभकारी बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करती हैं। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि पतंजलि के इस नवीन अनुसंधान को विश्व प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड यूनिवसिर्टी प्रैस के एफईएमएस माईक्रो बॉयोलॉजी इकोलॉजी जर्नल ने स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि प्रसन्नता है कि आयुर्वेद की शक्ति को विदेशी वैज्ञानिक न केवल स्वीकार कर रहे हैं। अपितु अनुसंधान के लिए भी आगे आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व भी हमने गिलोय,अश्वगंधा,सी बकथॉर्न,पुत्र जीवक,सर्वकल्प क्वाथ,पीड़ानिल क्वाथ,शिवलिंगी बीज,च्यवनप्राश, तुलसी, काकड़ासिंघी आदि पर शोध किया है। जिनको विश्व प्रसिद्ध जर्नल्स में प्रमुखता से स्थान मिला है। जिससे विदेशों में भी पतंजलि के आयुर्वेद का डंका बजा है। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि पतंजलि पूर्ण वैज्ञानिक मापदण्डों के अनुरूप कार्य करता है तथा एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब्स से लेकर एनिमल ट्रायल व अन्य सभी प्रकार की सुविधाएँ पतंजलि अनुसंधान संस्थान में उपलब्ध हैं।