श्री भगवान धाम कबीर आश्रम धर्मशाला में आयोजित संत सम्मेलन में बोले वक्ता
हरिद्वार। भूपतवाला स्थित श्री भगवान धाम कबीर आश्रम धर्मशाला में आयोजित वार्षिक संत सम्मेलन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी जित्तवानंद साहिब जी महाराज के पावन सानिध्य में आयोजित किया गया। कार्यक्रम मे अपने श्री मुख से भक्त जनों के बीच उद्गार व्यक्त करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद जी ने कहा मनुष्य के जीवन में जिस प्रकार सुख का होना आवश्यक होता है इस प्रकार दुख का होना भी आवश्यक होता है क्योंकि कभी भी मनुष्य सुख में हरि भजन की ओर नहीं चलता। कबीर जी के बताए मार्ग पर चलकर भजन नहीं करता जब उसे दुख का वर्णन होता है तो वह सीधे भगवान को याद करता है। उसके तार सीधे ईश्वर ज्ञान की और जुड़ जाते हैं। पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ पंडित भया न कोई ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होई। श्री भगवान धाम कबीर आश्रम भूपतवाला सचिव महंत ज्ञानानंद गोस्वामी ने कहा गुरु के बताए मार्ग पर चलने से मनुष्य का लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं। साधु ऐसा चाहिए जैसा शूप सुभाय सार सार को गहि रहे थोथा देई उराय। आश्रम के प्रबंधक स्वामी प्रकाशानंद जी ने कहा सतगुरु का एक-एक वचन मनुष्य के जीवन में बहुत ही कल्याणकारी होता है। सतगुरु द्वारा कहे गए एक-एक वचन को मनुष्य को अपने जीवन में धारण करना चाहिए गुरु शिष्य के जीवन में एक विशाल सूर्य के समान होता है। जो आपने भक्ति के जीवन में प्रकाश के रूप में ज्ञान ही ज्ञान भर देता है इस सृष्टि में गुरु ही ऐसे मार्गदर्शक होते हैं जो भक्तों को अपने ज्ञान की गंगा में गोते लगवा कर भवसागर पार कर देते हैं। इस अवसर पर रवि देव वेदांताचार्य जी महाराज ने कहां मनुष्य को अपने अच्छे सुखदाई समय में भी ईश्वर को याद रखना चाहिए। ईश्वर का भजन करना चाहिए कबीर दास जी के बताए मार्ग पर चलना चाहिए क्योंकि अगर आप सुख में हरि भजन करें तो दुख नहीं होगा। दुख में सिमरन सब करें सुख में कर ना कोई जो सुख में सिमरन करें तो दुख काहे को होये। आचार्य मंहत ब्रजेश मुनि महाराज जी ने कहा कि सदगुरु कबीर साहब ने संपूर्ण मानवता को एकता का संदेश दिया। हरिद्वार में रोज हजारों कबीरपंथी भक्त समाज गंगा में स्नान करने के लिए तीर्थ स्थान आते हैं लेकिन यहां पर हजारों घाट है लेकिन सदगुरु कबीर साहेब के नाम से कोई घाट नहीं है,इसलिए हरिद्वार में मां गंगा के किनारे सद्गुरु कबीर साहेब के नाम से घाट के निर्माण होना चाहिए। इसलिए स्वामी श्री जित्तवानंद साहेब जी को प्रस्ताव दिया। स्वामी श्री जित्तवानंद साहेब महाराज जी ने एंव भक्त समाज में जयघोष करते हुए प्रस्ताव को स्वीकार किया। इस अवसर परगुजरात अहमदाबाद से पधारे महंत श्री ऋषिकेश दास जी साहेब ने कहा इस पुनीत कार्य में सहयोग करने का वचन दिया। संत सम्मेलन में कबीर आश्रम सहारनपुर से पधारे महंत सत्य स्वरुप शास्त्री साहब,कबीर आश्रम सोनपुर बिहार से पधारे महंत ज्ञान स्वरूप तपस्वी साहेब जी,कबीर कीर्ति मंदिर काशी वाराणसी उत्तर प्रदेश से पधारे संत ज्ञान प्रकाश शास्त्री साहेब जी, बिसाही कबीर मठ से पधार मंहत किशोरी दास जी एंव कबीर मठ पटना से पधारे युवाचार्य संत विवेक मुनि साहेब ,ने कहा कि वर्तमान में समस्त मानव समाज को सदगुरु कबीर साहेब की वाणी से सत्य प्रेम सहिष्णुता अहिंसा,विश्व बंधुत्व का सहज सरल भाव की प्रेरणा लेनी चाहिए। कार्यक्रम का संचालन प्रबंधक स्वामी प्रकाशानंद साहेब के संचालन में आठवां वार्षिक संत सम्मेलन बड़े ही धूमधाम हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर महामंडलेश्वर रामेश्वरानंद महाराज ,स्वामी देवानंद महाराज व महंत बृजेश मुनी सत्य स्वरुप शास्त्र, चंद्रभान साहब, दिनेश दास,वरिष्ठ कोतवाल कालीचरण,रमेशानंद देहरादून, बाबा सरवन दास,श्याम गिरी, मनोजानंद, धीरेंद्र रावत, परवीन कश्यप सहित कार्यक्रम में हजारों की संख्या में देश-विदेश से आये श्रद्वालुओं के अलावा साधु संतों ने भाग लिया।