पितरों की मुक्ति का उपाय हैः श्राद्ध कर्म स्वामी आलोक गिरी

 


हरिद्वार। स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा कि पितरों की मुक्ति का उपाय श्राद्ध कर्म है। इसलिए अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए उनके वंशजों के द्वारा श्राद्ध कर्म किया जाना अत्यंत आवश्यक है। सनातन धर्म में पुरातन काल से ही पुरखों की खातिर उनके वंशजों के द्वारा श्राद्ध कर्म की परंपरा विद्यमान है। राजा भगीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने के लिए ही गंगा को पृथ्वी पर लाए थे। इसलिए वर्तमान पीढ़ी को भी आस्था और विश्वास के साथ पितरों का श्राद्ध कर्म करना चाहिए। गौरतलब है कि पितृपक्ष,शनिश्चरी अमावस्या पर श्रीबालाजी धाम सिद्धबलि हनुमान नर्मदेश्वर महादेव मंदिर निकट फूटबॉल ग्राउंड जगजीतपुर, कनखल में श्रद्धालुओं को खीर का प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर बाबा मनकामेश्वर गिरी ने कहा कि स्वामी आलोक गिरी जी की प्रेरणा से पितृपक्ष की अमावस्या पर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खीर के प्रसाद की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि मान्यता है कि पितृपक्ष की अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध किया जाता है,ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके।यह कटु सत्य है कि संसार में जन्म लेने वाले हर व्यक्ति के मृत्यु निश्चित है और मृत्यु के बाद पुनर्जन्म होता है। सद्कर्मों के द्वारा ही व्यक्ति जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। उन्होंने कहा पिता की संपत्ति का अधिकारी पुत्र को माना जाता है। इसी प्रकार पिता के को ऋण उतारना पुत्र का धर्म माना गया है। मरणोपरांत पिता को स्वर्ग प्राप्त हो सके इसके लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। पितृपक्ष को पूर्वजों के दिन माने गए हैं और इन दोनों पितरों की निमित्त ही श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। उन्होंने कहा जन कल्याण की भावना से मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए खीर का प्रसाद व्यक्तित्व किया गया है। इस मौके पर प्रद्युम्न सिंह, राजेश चौधरी,संजय चौधरी ,दिनेश कुमार,विशाल शर्मा,आशीष पंत,अबधेश झा,सचिन चौधरी,गोली बाबा,भारद्वाज सहित अन्य लोग मौजूद रहें।