हरिद्वार। रेलवे रोड़ स्थित श्री गरीबदासीय आश्रम में आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथा व्यास स्वामी रविदेव शास्त्री ने सुदामा चरित्र की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता सभी के लिए आदर्श और प्ररेणादायी है। संदीपनी मुनि के आश्रम में विद्या अध्ययन के दौरान श्रीकृष्ण और सुदामा के बीच मित्रता हुई। शिक्षा पूरी करने के बाद दोनों अपने-अपने घर लौट गए। सुदामा की मित्रता भगवान श्रीकृष्ण के साथ निःस्वार्थ थी। सुदामा ने कभी उनसे सुख साधन या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कामना नहीं की। एक बार पत्नि के कहने पर सुदामा श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे। श्रीकृष्ण ने सुदामा का बहुत आदर सत्कार किया। इस दौरान भी सुदामा ने अपने सखा श्रीकृष्ण से कुछ नहीं मांगा। लेकिन सुदामा की पत्नी द्वारा पोटली में भेजे गए, चावलों ने भगवान श्रीकृष्ण से सारी हकीकत कह दी और प्रभु ने बिन मांगे ही सुदामा को सब कुछ प्रदान कर दिया। स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि भगवान विपदा की घड़ी में अपने भक्तों पर सदैव कृपा करते हैं। स्वामी हरिहरांनद, स्वामी निर्मलदास व स्वामी दिनेश दास ने कहा कि श्रद्धापूर्वक श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने और कथा ज्ञान के अनुसार आचरण करने से जीवन भवसागर से पार हो जाता है। कथा के विश्राम अवसर पर श्रद्धालुओं ने श्रीमद्भागवत तथा व्यास पीठ का पूजन कर आशीर्वाद लिया। कथा के मुख्य जजमान नवीन भाई और श्रीमती उर्मिला बेन ने फूलमाला पहनाकर सभी संत महापुरूषों का स्वागत किया। इस अवसर पर महामडलेश्वर स्वामी परमात्मदेव,स्वामी सूतिक्ष्ण मुनि,महंत कपिल मुनि,स्वामी ज्ञानानंद, महंत गोविंद दास,स्वामी योगेंद्रानंद,स्वामी ऋषिश्वरानंद,स्वामी शिवम महंत, आचार्य पदम प्रसाद सुवेदी,डा.संजय वर्मा,लोकनाथ,विजय शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद रहे।