पतंजलि में संचालित विविध क्षेत्रों में सेवा के लिए विद्वानों का स्वागतः आचार्य बालकृष्ण
हरिद्वार। 1983 बैच के आईआईटी रूड़की से स्नातक हुए 81विद्वान अधिकारियों का दल रविवार को पतंजलि योगपीठ पहुँचा जहाँ उन्होंने पतंजलि हर्बल गार्डन सहित विभिन्न सेवा प्रकल्पों का भ्रमण किया। दल में शामिल अधिकारियों ने पतंजलि योगपीठ स्थित सभागार में आचार्य बालकृष्ण महाराज के साथ विविध विषयों पर चर्चा की। इस अवसर पर आचार्य जी ने पतंजलि में सभी मूर्धन्य विद्वानों का आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षण कार्य के अतिरिक्त पतंजलि द्वारा विविध क्षेत्रों में संचालित सेवा कार्यों में आप सब सहभागी बनें। उन्होंने कहा कि वेदों में ब्रह्मचर्य,गृहस्थ,वानप्रस्थ और संन्यास-ये चार आश्रम बताए गए हैं। प्राचीनकाल में जो भी वानप्रस्थ में जाते थे वे निःस्वार्थ भाव से गुरुकुलों में नन्हें बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से जाते थे। क्योंकि सामान्य शिक्षक सैद्धांतिक ज्ञान तो दे सकता है किंतु व्यवहारिक ज्ञान एक अनुभवी व्यक्ति ही दे सकता है। पढ़ाई मात्र शब्द ज्ञान है, वस्तु ज्ञान तो आप लोगों ने प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े इंजीनियर जो कार्य नहीं कर सकते वह एक ग्रामीण मिस्त्री कर देता है,अब यह देखने वाले की दृष्टि पर निर्भर करता है कि वह उसे अनपढ़ कहेंगे या कुशल कारीगर। इस यात्रा के समन्वयक सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता एवं अध्यक्ष,उत्तराखंड राज्य केंद्र आई.ई.आई. देहरादून इंजीनियर एन.के.यादव रहे। उन्होंने विविध क्षेत्रों में पतंजलि द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। इस अवसर पर उन्होंने एक कविता-कल्पनाओं के हाथ से कमनीय मंदिर तुम बनाना-भी सुनाई। इस दौरान इंजी. एन.के.यादव के साथ यूएसए से डॉ.विवेक वर्मा, ऑस्ट्रेलिया से इंजीनियर विपिन गैंधार, संयुक्त राज्य अमेरिका से इंजीनियर हिमांशु,कनाडा से इंजीनियर राजेश वत्स, आईआईटीआर से प्रोफेसर सतीश चंद्र, प्रोफेसर एस.के. सिंघल,प्रोफेसर एम.के.सिंघल, दिल्ली से इंजीनियर आनंद प्रकाश सहित सम्पूर्ण भारत के विभिन्न प्रांतों से पधारे 81विद्वानों व अधिकारियों ने पतंजलि योगपीठ के विविध सेवा प्रकल्पों का भ्रमण किया।