हरिद्वार। श्री श्याम वैकुंठ धाम के परमाध्यक्ष श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज ने कहा कि कहा सुख और दुख मनुष्य के जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिए है।ं उन्होंने सुख को परिभाषित करते हुए कहा जैसे दो कदमों से मनुष्य कदम पर कदम बढ़ाते हुए आसानी से आगे बढ़ जाता है दूसरी तरफ दुख को परिभाषित करते हुए कहा उल्टे पैर पीछे बिना किसी सहारे के जाने जैसा दुख है दुख हमें कुछ कदम पीछे ले जाता है। सुख हमें सुखद अनुभव करते हुए दृष्टि के साथ आगे की ओर ले जाता है। इस अवसर पर बोलते हुए श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज ने कहा ईश्वर और धर्म के प्रति आस्था मनुष्य को धर्म से जोड़ने के साथ-साथ ईश्वर से जोड़ती है लेकिन जिनकी आस्था धर्म और ईश्वर मे ना हो उसका मन सदैव अधीर और भटकाव की ओर रहता है। अगर एक समृद्ध शाली सुखद शांति और समृद्धि प्रिय जीवन जीना है तो इस सृष्टि के आधार भगवान हरि भगवान श्री राधा कृष्ण भगवान बालाजी महाराज के प्रति आस्थावान होना अति आवश्यक है। अपने आप को पहचानो और माया के जाल में फंसने की बजाय भगवान श्री हरि भगवान श्री कृष्ण भगवान श्री राम भगवान बालाजी के चरणों में ध्यान लगाओ अपने इस नसवान जीवन को सार्थक करो ईश्वर तक पहुंचाने का माध्यम गुरु है गुरु का सदैव सम्मान करो गुरु के बताए पथ पर आगे बढ़ो।
सुख और दुख मनुष्य जीवन की गाड़ी के दो पहिए -श्री महंत श्यामसुंदर दास