खरसाली,उत्तरकाशी। ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती की उत्तराखंड स्थित चार धामों की शीतकालीन चारधाम तीर्थ यात्रा हरिद्वार के चण्डी घाट पर गंगा पूजन के साथ प्रारंभ हो गई। तय कार्यक्रम के तहत ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य जी महाराज के पावन सान्निध्य में तीर्थ यात्रियों का दल यात्रा के लिए अपने पहले पड़ाव खरसाली पहुंचा। इससे पहले बड़कोट नगर क्षेत्र में स्थानीय लोगों जनप्रतिनिधियों एवं तीर्थ पुरोहितो द्वारा उनका नागरिक अभिनंदन किया गया। बड़कोट में नागरिक अभिनंदन के अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य जी ने कहा कि देश दुनिया में लोगों के बीच में यह भ्रम की स्थिति है कि उत्तराखंड स्थित चारों धामों के कपाट बंद होने के बाद पूजाएं भी बंद हो जाती हैं। यह संदेश देने के लिए कि चारों धामों की पूजाएं निरंतर चलती रहती हैं, इसी उद्देश्य के लिए उनके चार धामों की शीतकालीन पूजा स्थलों की यात्रा की जा रही है। विश्वभर में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। सनातन धर्म के अनुसार ही बातों को आगे किया जाना चाहिए। सनातन धर्म के अनुसार आगे आने का आह्वान किया। ऋषि मुनि साधु संतो ने ही इस तीर्थ यात्रा को आगे बढ़ाया। शंकराचार्यो, ऋषियो मुनियों ने जो संस्कृति शुरू की है उसको हम आगे बढ़ा रहे हैं। सनातन धर्मबलंबियो से आग्रह करते हैं कि वह किस प्रकार के साथी शीतकाल में भी धर्मों की यात्रा करें। आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा ढाई हजार वर्ष पूर्व स्थापित परंपराओं का निर्वहन करते हुए ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य शीतकालीन पूजा स्थलों की तीर्थ यात्रा कर रहे हैं। आदिगुरु शंकराचार्य परंपरा के इतिहास में यह पहला अवसर है कि जब ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य द्वारा उत्तराखंड स्थित चार धामों के पूजा स्थलों की तीर्थ यात्रा की जा रही है। खरसाली मंदिर परिसर में शंकराचार्य जी द्वारा यमुना जी की आरती एवम पूजन किया गया। काशी की दिव्य और भव्य आरती भी आयोजित की गई।