हरिद्वार। कनखल स्थित श्री दरिद्र भंजन महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवेद दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने सुदामा चरित्र का श्रवण कराते हुए बताया कि जो ब्राह्मण वेद विद्या में पारंगत है एवं जिसके मन में संतोष है। स्वयं भगवान उसकी सहायता करते हैं। परम संतोषी सुदामा का चरित्र श्रीमद्भागवत महापुराण में श्रवण करने योग्य है। पढ़ना,पढ़ाना,यज्ञ करना,यज्ञ करवाना,दान लेना एवं दान देना यह 6कर्म ब्राह्मण के बताए गए हैं। सुदामा अपने कर्मों को करते हैं। परंतु प्रारब्ध के कारण सुदामा को कुछ भी प्राप्त नहीं हो पाता। परंतु जब सुदामा की पत्नी ने उन्हें द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण के पास भेजा तो स्वयं द्वारकाधीश ने सुदामा के चरण धोकर उन्हें अपने आसन पर बिठाया और सुदामा को तीनों लोक की संपत्ति दे दी। शास्त्री ने बताया कि इस कथा से प्रेरणा मिलती है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण संत ब्रह्म भक्तों का सम्मान करते हैं। जो लोग अपने आप को भगवान के भक्त कहते हैं। वह भक्त कहलाने के अधिकारी तभी होंगे। जब संत ब्रह्म भक्तों का सम्मान करेंगे। आज देखने को मिलता है कि अपने आप को तो लोग भक्त कहते हैं। परंतु समय≤ पर संत ब्रह्म भक्तों का अनादर करते है।ं जिसके कारण जीवन में अनेकों प्रकार के संकट भोगने को मिलते हैं। दत्तात्रेय के 24गुरुओं का करते हुए शास्त्री ने बताया कि जिससे भी हमें ज्ञान मिले,उसे अपना गुरु मान लेना चाहिए। किसी की बुराइयां ना देखते हुए अच्छाई देखकर अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए। इस अवसर पर मुख्य जजमान चंद्र प्रकाश गुप्ता,राजेश गुप्ता,शैलेश गुप्ता,दिनेश गुप्ता,डीके गुप्ता,मुकेश गुप्ता,अमन गुप्ता,पूजा गुप्ता, प्रियांशु गुप्ता,रुद्र गुप्ता,खुशी गुप्ता,कृष्ण कुमार शर्मा,नीरज कुमार शर्मा,रिचा शर्मा,सीमा गुप्ता ,कुसुम गुप्ता,कुणाल गुप्ता आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।
किसी की बुराइयां ना देखते हुए अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए
हरिद्वार। कनखल स्थित श्री दरिद्र भंजन महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवेद दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने सुदामा चरित्र का श्रवण कराते हुए बताया कि जो ब्राह्मण वेद विद्या में पारंगत है एवं जिसके मन में संतोष है। स्वयं भगवान उसकी सहायता करते हैं। परम संतोषी सुदामा का चरित्र श्रीमद्भागवत महापुराण में श्रवण करने योग्य है। पढ़ना,पढ़ाना,यज्ञ करना,यज्ञ करवाना,दान लेना एवं दान देना यह 6कर्म ब्राह्मण के बताए गए हैं। सुदामा अपने कर्मों को करते हैं। परंतु प्रारब्ध के कारण सुदामा को कुछ भी प्राप्त नहीं हो पाता। परंतु जब सुदामा की पत्नी ने उन्हें द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण के पास भेजा तो स्वयं द्वारकाधीश ने सुदामा के चरण धोकर उन्हें अपने आसन पर बिठाया और सुदामा को तीनों लोक की संपत्ति दे दी। शास्त्री ने बताया कि इस कथा से प्रेरणा मिलती है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण संत ब्रह्म भक्तों का सम्मान करते हैं। जो लोग अपने आप को भगवान के भक्त कहते हैं। वह भक्त कहलाने के अधिकारी तभी होंगे। जब संत ब्रह्म भक्तों का सम्मान करेंगे। आज देखने को मिलता है कि अपने आप को तो लोग भक्त कहते हैं। परंतु समय≤ पर संत ब्रह्म भक्तों का अनादर करते है।ं जिसके कारण जीवन में अनेकों प्रकार के संकट भोगने को मिलते हैं। दत्तात्रेय के 24गुरुओं का करते हुए शास्त्री ने बताया कि जिससे भी हमें ज्ञान मिले,उसे अपना गुरु मान लेना चाहिए। किसी की बुराइयां ना देखते हुए अच्छाई देखकर अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए। इस अवसर पर मुख्य जजमान चंद्र प्रकाश गुप्ता,राजेश गुप्ता,शैलेश गुप्ता,दिनेश गुप्ता,डीके गुप्ता,मुकेश गुप्ता,अमन गुप्ता,पूजा गुप्ता, प्रियांशु गुप्ता,रुद्र गुप्ता,खुशी गुप्ता,कृष्ण कुमार शर्मा,नीरज कुमार शर्मा,रिचा शर्मा,सीमा गुप्ता ,कुसुम गुप्ता,कुणाल गुप्ता आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।