हरिद्वार। श्री अखंड परशुराम अखाड़े के तत्वाधान में जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के दूसरे दिन की कथा श्रवण कराते हुए कथाव्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि प्राचीन काल में जब महाप्रलय हो गया और केवल जल ही जल शेष रह गया। उस जलाशय में भगवान नारायण शेष शैया पर विश्राम कर रहे थे। भगवान नारायण के कान की मैल से मधु एवं कैटभ नामक दो दैत्यों की उत्पत्ति हुई। उन्होंने दस हजार वर्षों तक मां भगवती की कठोर साधना की। मां भगवती ने प्रसन्न होकर के इनकी इच्छा अनुसार वरदान प्रदान कर दिया। वरदान प्राप्त कर दोनों दैत्य ब्रह्मा जी को मारने के लिए चले। ब्रह्मा अपने प्राणों को बचाने के लिए भगवान नारायण के पास आए। भगवान नारायण ने मधु एवं कैटभ दोनों दैत्यो के साथ पांच हजार वर्षों तक युद्ध किया परंतु उनका वध नहीं कर पाए। तब भगवान नारायण ने स्वयं मां भगवती जगदंबा की स्तुति की। जिससे प्रसन्न होकर मां भगवती ने भगवान नारायण को मधु एवं कैटभ के वध का उपाय बताया। भगवान नारायण ने मां भगवती के बताए अनुसार अपनी जंघा के ऊपर ही दोनों का संघार किया। शास्त्री ने बताया कि जो भी नवरात्र में नौ दिनों तक मां भगवती की आराधना उपासना करता है एवं देवी भागवत कथा का श्रवण करता है। मां भगवती उसके भीतर काम, क्रोध,मद,लोभ,मोह रूपी राक्षसों का संहार कर समस्त मनोकामनाओ को पूर्ण कर देती है। जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को मां भगवती की आराधना करनी चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए कि हमारे भीतर की बुराइयां दूर हो और हमारे भीतर अच्छे-अच्छे संस्कार उत्पन्न हों। ताकि समाज में मान प्रतिष्ठा प्राप्त हो सके। श्री अखंड परशुराम अखाड़ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि मनुष्य गलत संगति में पड़कर शराब,जुए की लत में पड़कर गलत कार्य करते हुए अनेकों प्रकार की सजा भोगता है। बंदी गृह कें सजा काटने से बचना है तो अपनी बुराइयों को दूर कर अच्छी संगति करें। इस दौरान डा.राकेश गैरोला,विष्णु गौड,अश्मित कौशिक,हर्ष पंडित,आशीष शर्मा,सोनू,शशिकांत आदि मौजूद रहे।