हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में आर्यनगर ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने श्रीमद्भागवत महात्म्य की कथा का श्रवण करते हुए सर्वप्रथम देवऋषि नारद हरिद्वार में गंगा तट पर भागवत कथा का आयोजन किया था। शास्त्री ने बताया कि अनेक लोकों का भ्रमण करते हुए नारद जब पृथ्वी लोक में आए तो मनुष्य सुख दुख और 84 लाख योनियों में भटक रहा। भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य भी दुखी हैं। यह देख नारद ने बद्रीनाथ जाकर सनत कुमारो से निवारण क उपाय पूछा तो सनत कुमारो ने बताया कि श्रीमद्भागवत सप्ताह यज्ञ को ही सत्कर्म कहा गया है। आप हरिद्वार में गंगा तट पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन करो। सनत कुमारो द्वारा प्रेरित होकर देवर्षि नारद ने हरिद्वार में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कथा के प्रभाव से भक्ति,ज्ञान एवं वैराग्य का दुख दूर हो गया और भक्ति, ज्ञान,वैराग्य भक्तों के हृदय में वास करने लगे। शास्त्री ने बताया कि जो मनुष्य श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन और श्रवण करता है। उसके भीतर भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य की जागृति होती है। शास्त्री ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा जीवन में तो जीव का कल्याण करती ही है, मृत्यु के बाद भी यदि मृतक आत्मा के निमित्त श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किय जाता है, तो मृतक आत्मा भी भागवत के प्रभाव से मोक्ष को प्राप्त हो जाती है। धुंधकारी अपने पाप कर्मों से मरने के बाद प्रेत योनि में चल गया। धुंधकारी के भाई गोकर्ण ने उसकी मुक्ति मे लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कथा के प्रभाव से धुंधकारी को मोक्ष प्राप्त हुआ। प्रत्येक व्यक्ति को अपने तथा अपने पितरों के उद्धार के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन अवश्य करना चाहिए। कथा के मुख्य जजमान चेतन स्वरूप गुप्ता,योगेश कुमार गुप्ता,दुर्गेश गुप्ता,लक्ष्मी गुप्ता,देव गुप्ता,दिव्यांशु गुप्ता,राकेश गुप्ता,प्रीति गुप्ता,मुदित गुप्ता,गिरिराज गुप्ता, पद्मलता गुप्ता,मोहित गुप्ता,विमलेश गुप्ता,हेमलता रानी,रजनी गुप्ता ने भागवत पूजन कर कथा व्यास से आशीर्वाद प्राप्त किया।
सर्वप्रथम नारद ने किया था हरिद्वार के गंगा तट पर श्रीमदभावगत कथा आयोजन-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री
हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में आर्यनगर ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने श्रीमद्भागवत महात्म्य की कथा का श्रवण करते हुए सर्वप्रथम देवऋषि नारद हरिद्वार में गंगा तट पर भागवत कथा का आयोजन किया था। शास्त्री ने बताया कि अनेक लोकों का भ्रमण करते हुए नारद जब पृथ्वी लोक में आए तो मनुष्य सुख दुख और 84 लाख योनियों में भटक रहा। भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य भी दुखी हैं। यह देख नारद ने बद्रीनाथ जाकर सनत कुमारो से निवारण क उपाय पूछा तो सनत कुमारो ने बताया कि श्रीमद्भागवत सप्ताह यज्ञ को ही सत्कर्म कहा गया है। आप हरिद्वार में गंगा तट पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन करो। सनत कुमारो द्वारा प्रेरित होकर देवर्षि नारद ने हरिद्वार में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कथा के प्रभाव से भक्ति,ज्ञान एवं वैराग्य का दुख दूर हो गया और भक्ति, ज्ञान,वैराग्य भक्तों के हृदय में वास करने लगे। शास्त्री ने बताया कि जो मनुष्य श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन और श्रवण करता है। उसके भीतर भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य की जागृति होती है। शास्त्री ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा जीवन में तो जीव का कल्याण करती ही है, मृत्यु के बाद भी यदि मृतक आत्मा के निमित्त श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किय जाता है, तो मृतक आत्मा भी भागवत के प्रभाव से मोक्ष को प्राप्त हो जाती है। धुंधकारी अपने पाप कर्मों से मरने के बाद प्रेत योनि में चल गया। धुंधकारी के भाई गोकर्ण ने उसकी मुक्ति मे लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कथा के प्रभाव से धुंधकारी को मोक्ष प्राप्त हुआ। प्रत्येक व्यक्ति को अपने तथा अपने पितरों के उद्धार के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन अवश्य करना चाहिए। कथा के मुख्य जजमान चेतन स्वरूप गुप्ता,योगेश कुमार गुप्ता,दुर्गेश गुप्ता,लक्ष्मी गुप्ता,देव गुप्ता,दिव्यांशु गुप्ता,राकेश गुप्ता,प्रीति गुप्ता,मुदित गुप्ता,गिरिराज गुप्ता, पद्मलता गुप्ता,मोहित गुप्ता,विमलेश गुप्ता,हेमलता रानी,रजनी गुप्ता ने भागवत पूजन कर कथा व्यास से आशीर्वाद प्राप्त किया।