धूमधाम से मनाया गया श्रीहरमिलाप मिशन का वार्षिकोत्सव
हरिद्वार। हरमिलाप मिशन के नवम गुरूदेव रामप्यारा साहिब महाराज की पुण्यस्मृति में श्री हरमिलाप मिशन का 117वां तीन दिवसीय वार्षिक उत्सव बृहस्पतिवार को संपन्न हो गया। इस अवसर पर श्री हरमिलाप मिशन के 12वें सद्गुरूदेव मोहन हरमिलापी महाराज ने श्रद्धालु भक्तों को वार्षिकोत्सव की बधाई दी और आशीर्वाद प्रदान किया। वार्षिकोत्सव के अवसर पर श्रीरामचरित मानस एवं गुरूगाथा का अखण्ड पाठ तथा विश्व शांति हेतु हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। श्रीअनन्त प्रेम मंदिर अम्बाल शहर की परमाध्यक्ष गीता महाराज एवं श्री प्रेम मन्दिर पानीपत की परमाध्यक्ष कान्ता महाराज ने कहा कि श्री रामचरित मानस साक्षात मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का और पावन श्री गुरूगाथा साक्षात श्रीहरमिलाप साहिब का सुन्दर स्वरूप है। इस अवसर पर रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया गया। जिसमें रक्तदाताओं ने लगभग 100यूनिट रक्तदान किया। श्रीहरमिलाप मिशन की उपाध्यक्षा संगीता हरमिलापी ने कहा कि रक्तदान सबसे बड़ा दान है। इसलिए मनुष्य को जीवित रहने तक रक्तदान और मरणोपरांत नेत्रदान अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि रक्तदान का महत्व इससे ही समझा जा सकता है कि रक्त उद्योगशाला में नहीं बनता है। बल्कि मानव शरीर में बनता है। इसलिए रक्तदान अवश्य करना चाहिए। ताकि आवश्यकता होने पर किसी मानव का जीवन बचाया जा सके। समारोह के दौरान भजन संध्या का भी आयोजन किया गया। जिसमें लुधियाना से पधारे अश्विनी ग्रोवर,दिल्ली से आए श्रीहरमिलाप सत्संग मंडल द्वारा मधुर भजनों की प्रस्तुति दी गयी। सत्संग समारोह में श्रीभगवदधाम के महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद महाराज,स्वामी रविन्द्रानंद,स्वामी हरिचेतनानंद,स्वामी रविदेव शास्त्री एवं अन्य संतों ने कहा कि श्रीहरमिलापी महाराज गरीबों के मसीहा थे। ऐसे महापुरूषों की वर्तमान में जरूरत है। संतों ने कहा कि सत्संग और भगवान का पावन नाम ही जीवन का सार है। सत्संग से ही विवेक की प्राप्ति होती है। इस दौरान योग ध्यान शिविर का आयोजन भी किया गया। जिसमें हरमिलाप मिशन की उपाध्यक्षा संगीता हरमिलापी ने साधकों को योग एवं प्राणायाम का अभ्यास कराते हुए बताया कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से योग एवं प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। इससे तनाव,उच्च रक्तचाप जैसे रोगों को दूर किया जा सकता है। सत्गुरूदेव मदन मोहन हरमिलापी एवं संगीता हरमिलापी महाराज ने सत्गुरू मुनि हरमिलापी महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित की। मदन मोहन हरमिलापी महाराज ने श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वचन प्रदान करते हुए कहा कि एक बनोगे एकता आएगी। नेक बनोगे दिव्यता आएगी।