हरिद्वार।श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परम अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी ने कहा है कि श्रीमद् भागवत वेदों का सार और कथा रूप में वेदांत का ज्ञान है। समाज में समरसता और स्नेह का वातावरण देना ही भगवान के अवतार का हेतु है इसीलिए उन्होंने महारास और माखन लीला के माध्यम से सृष्टि को सौहार्द का संदेश दिया। वे आज राजागार्डन के हनुमान मंदिर सत्संगहॉल में भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर रहे थे। कुलगुरु गर्गाचार्य द्वारा गौशाला में किए गए भगवान के नामकरण का वृतांत सुनाते हुए कथाव्यास स्वामी विज्ञानानंद सरस्वतीजी महाराज ने भगवान के सहस्र नामों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। कंस और पूतना का उद्धार तो समय की आवश्यकता थी, भगवान ने गोरस की बिक्री रोकने के लिए ही माखन लीला की,क्योंकि नंद बाबा के लाखों गायें थी उनका बेटा माखन चोर नहीं हो सकता है। भगवान ने बाल्यावस्था में ही महारास का आयोजन कर प्रेम और उत्साह का वातावरण बनाया, जिसका दर्शन करने के लिए भगवान शिव को भी गोपी रूप धारण करना पड़ा। देवराज इंद्र का अभिमान तोड़ने के लिए ही भगवान ने गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाकर ब्रजमंडल की रक्षा की और निराकार के स्थान पर साकार की पूजा का विधान बनाया। बहते हुए जल में स्नान करना मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है लेकिन कालिया नाग की दहशत से बृजवासी यमुना स्नान से वंचित थे इसीलिए कालिया नाग का मर्दन कर भगवान ने यमुना का मोक्ष दायिनी स्वरूप बहाल किया। भागवत श्रोताओं को योगाचार्य जयदेवानंद महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के कर्मयोग की दीक्षा देते हुए भाग्यवादी न बनाकर कर्मयोगी बनने का आवाहन किया। अंत में सभी श्रोताओं ने कथायजमन के साथ भगवान के गोवर्धन स्वरुप की पूजा एवं आरती उतार कर विश्व कल्याण की कामना की।