हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में तीन दिवसीय‘सुश्रुतकोण’सम्मेलन के अंतिम दिन के प्रथम सत्र में महर्षि सुश्रुत द्वारा प्रणीत ‘शल्य चिकित्सा’का लाईव सत्र डॉ.पी.हेमंथा एवं डॉ.मोहित वर्मा की अध्यक्षता में डॉ.अजय गुप्ता,डॉ.शिवजी गुप्ता एवं डॉ.सचिन गुप्ता आदि चिकित्सकों द्वारा सम्पन्न हुआ। सभी प्रतिभागियों द्वारा इस सत्र में शल्य चिकित्सा की बारीकियों को विस्तार से सीखा गया। द्वितीय सत्र में डॉ.पी.हेमंथा कुमार ने एनोरेक्टल डिस ऑर्डर में क्षार कर्म की उपयोगिता पर प्रकाश डाला तथा बताया कि आयुर्वेद की शल्य क्रिया ‘क्षारसूत्र’एक प्रामाणिक उपचार पद्धति है। वहीं डॉ.अनिल दत्त ने लोकल एनेस्थीसिया की जटिलता विषय पर अपना व्याख्यान दिया। पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रोफेसर एवं शल्य चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ.सचिन गुप्ता ने उपरोक्त विषय पर अपनी सारगर्भित प्रस्तुति दी तथा अपना चिकित्सकीय अनुभव उपस्थित प्रतिभागियों से साझा किया। इस सत्र में सर्जिकल प्रक्रिया के समेकित उपागम पर अतिथि चिकित्सकों द्वारा समूह परिचर्चा भी की गई। यथार्थ हॉस्पिटल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.प्रशान्त शर्मा ने हर्निया सर्जरी विषय पर साक्ष्य आधारित सम्बोधन दिया। उन्होंने सम्मेलन के प्रतिभागियों को बताया कि सदैव रोगी हित को सर्वोपरि रखकर सर्जरी की चुनौती को हमें स्वीकार करना चाहिए। समापन सत्र में पतंजलि विश्वविद्यालय एवं पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों एवं सम्मेलन के आयोजकों द्वारा अतिथि विद्वानों एवं प्रतिभागियों को प्रतीक चिह्न एवं प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस सम्मेलन में 12राज्यों के 1100 से अधिक प्रतिभागियों ने ऑनलाईन एवं ऑफलाईन माध्यम से जुड़कर शल्य चिकित्सा की प्रक्रिया एवं जटिलता आदि विषयों पर ज्ञानार्जन किया। कार्यक्रम में प्रति कुलपति डॉ.महावीर अग्रवाल,मुख्य परामर्शदाता प्रो.के.एन.एस.यादव,कुलसचिव डॉ.प्रवीन पूनिया,आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.अनिल कुमार,पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की प्रमुख-डॉ.वेदप्रिया आर्या,डॉ.केतन महाजन,डॉ.विक्रम गुप्ता,डॉ.मनोज भाटी सहित समस्त अधिकारीगण,शिक्षकगण,शोधार्थी व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।