हरिद्वार। श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने कहा कि प्रकृति परमात्मा की गोद है,जिससे प्यार करने वाला व्यक्ति सुखद और चिरायु जीवन की अनुभूति करता है। लक्सर रोड के गंगा भोगपुर-तिलकपुरी में कृषकों को प्राकृतिक खेती की ओर लौटने का सुझाव देते हुए स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने कहा कि देश में अंधाधुंध बढ़ रहे शहरीकरण और गांवों की सिकुड़ती आबादी पर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने गांवों को सुविधा संपन्न बना दिया हैं 80 फीसदी गांवों में सड़कें और विद्युत व्यवस्था उपलब्ध होने के बाद भी किसान गांव छोड़कर शहर की ओर पलायन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अन्न और जल परमात्मा की करेंसी हैं। जिनके अंतःकरण में प्रविष्ट होने पर ही आत्मा चैतन्य होती है। अन्न,जल और वायु के बिना मानव जीवन संभव ही नहीं है और गांव में यह तीनों वस्तुएं शुद्ध रूप में उपलब्ध होती हैं। कोरोना काल की भयावहता पर शहर एवं गांव का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि गांव की तुलना में शहरी व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसका मुख्य कारण यही है कि शहरों की वायु, भोजन और जल तीनों अशुद्ध हैं। उन्होंने कहा कि सभी कृषक गोपालन कर शुद्ध देसी खाद का निर्माण करें और रासायनिक कृषि छोड़कर ऑर्गेनिक युग की ओर लौटें। तभी देश और समाज का कल्याण होगा। इस अवसर पर तीन गांवों के किसान मौजूद रहे।
प्रकृति परमात्मा की गोद है-स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती