ब्रह्मचारियों को दक्ष करने वाले गुरुजनों के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन

 


हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय-विभाग के परिसर में ज्ञान रूपी अग्नि में ब्रह्मचारियों को दक्ष करने वाले गुरुजनों के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गुरुकुल कांगड़ी के मुख्याधिष्ठाता डॉ.दीनानाथ शर्मा ने समस्त गुरुजनों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ प्रदान की। उन्होंने ने कहा कि शिक्षक ब्रह्मचारियों के प्राण होते हैं। ब्रह्मचारियों का हृदय कोमल होता है,उस पर जो भी संस्कार एक बार अंकित कर दिये जायें वे सदैव कार्य रूप में परिणत् हो जाते है। विद्या मानव के सर्वांगीण विकास का उत्तम साधन है। जिसके लिए गुरुकुल की प्रसिद्धि गत् 122वर्षों से सम्पूर्ण विश्व में विख्यात है। इस अवसर पर गुरुकुल कांगडी विद्यालय हरिद्वार में सभी शिक्षकों,कर्मचारियों एवं छात्रों ने पर्वतराज हिमालय की सुरक्षा का संकल्प प्रतिज्ञा ग्रहण करके किया। शपथ-ग्रहण विद्यालय के मुख्याघ्यापक डा.विजेन्द्र शास्त्री ने करायी। मुख्याध्यापक डॉ.विजेन्द्र शास्त्री ने कहा कि गुरुकुल के ब्रह्मचारियों पर ही हमारा भविष्य निर्भर करता है,इन्हीं में आने वाला कल सुरक्षित है। ये ही ब्रह्मचारी आर्य परम्परा के सम्वाहक बनेंगे तथा ऋषि दयानन्द के स्वपनों का भारत बनायेंगे। आज गुरुजनों का आत्म- मन्थन का दिवस है,वे ब्रह्मचारियों को कुन्दन बना सकते हैं। इस अवसर पर डॉ.योगेश शास्त्री ने कहा कि गुरुकुल में सभी पर्व आर्य पद्धति के रूप में मनाये जाते हैं,जिनका उद्देश्य ब्रह्मचारियों के उत्तम चरित्र का निर्माण करना है। गुरुकुल के सभी शिक्षक आर्य परम्परा का पालन करते हुए स्वामी श्रद्धानन्द के स्वपन को सत्कृत करने हेतु संकल्पबद्ध हैं। गुरुकुल के अध्यापक अशोक कुमार आर्य ने कहा कि यह दिवस डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मोत्सव पर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है,वे भारत के राष्ट्रपति थे परन्तु उससे पूर्व एक उत्तम शिक्षक थे,उनके जीवन में अनुशासन महत्वपूर्ण अंग के रूप में परिणत था। इस अवसर पर कार्यक्रम में विद्यालय-विभाग के यज्ञशाला में अशोक आर्य,अश्विनी कुमार ,डॉ.बृजेश कुमार,अमर सिंह,वेदपाल सिंह,लोकेश शास्त्री,अशोक कुमार,अमित कुमार,राजकमल,दीपकमल,विजय कुमार ,धर्म सिंह,गौरव शर्मा,सज्जन सिंह,धीरज कौशिक,मामराजपाल,आश्रमाघ्यक्ष धर्मेन्द्र आर्य,समस्त अध्ष्ठिातागण,समस्त कर्मचारीगण एवं समस्त ब्रह्मचारीगण,छात्रा उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संयोजक जितेन्द्र वर्मा एवं सह संयोजक डॉ. हुकमचन्द रहें।