अखाड़ों की एकता एवं परंपरांओं के संवर्द्धन के लिए संतों को एक मंच पर आना होगा-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी


 हरिद्वार। अखाड़ों की एकता अखण्डता बनाए रखने के लिए निर्णायक भूमिका निभा रहे अखिलश्र भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज से महंत दुर्गादास,कोठारी महंत राघवेंद्र दास,महंत गोविंददास ने भेंटवार्ता कर प्रसन्नता जतायी। इस दौरान श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने संत महापुरूषों को मनसा देवी का चित्र भेंटकर स्वागत किया। श्रीमहंत रविद्रपुरी महाराज ने कहा कि अखाड़ों की एकता अखण्डता एवं परंपरांओं के संरक्षण संवर्द्धन के लिए भारत के संतों को एक मंच पर आना होगा। उन्होंने कहा कि पौराणिक मठ मंदिरों,आश्रम अखाड़ों के संरक्षण संवर्द्धन में संत महापुरूषों की ही निर्णायक भूमिका होती है। कुंभ जैसे बड़े आयोजन भी एकता के बल पर ही सकुशल संपन्न कराए जाते हैं। जल्द ही प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन सभी तेरह अखाड़ों के सानिध्य में होगा। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि एकता और संगठित होकर ही संत समाज अपनी जटिल समस्याओं का समाधान कर सकता है। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज लगातार अखाड़ों के संत महापुरूषों को एक मंच पर लाने की लगातार कोशिशें कर रहे हैं। जो कि हर्ष का विषय है। आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज मधुरभाषी हैं। समाज सेवा में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। अख्ेााड़ों का एकीकरण करने में ऐतिहासिक पहल कर रहे हैं। संतों की एकजुटता ही हिंदू संस्कृति को बढ़ावा देने का मूल मंत्र है। आह्वान पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरूण गिरी महाराज ने कहा कि एकता अखंडता के बल पर ही संत समाज अपनी भूमिकाएं सुनिश्चित कर सकता है। श्रीमहंत रविंद्र  पुरी महाराज संतों को एक मंच पर लाने की यह मुहिम निश्चित रूप से सफल होगी। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत महेश्वर दास महाराज,श्रीमहंत अद्वैतानंद महाराज एवं मुखिया महंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि महाकुंभ मेले जैसे पर्व अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के कुशल नेतृत्व में ही सफल होते हैं। अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी कुशल नेतृत्वकर्ता हैं। उनके नेतृत्व में प्रयागराज कुंभ दिव्य और भव्यरूप संपन्न होगा। बधाई देने वालों में श्रीमहंत रामरतन गिरी,महंत गोविंददास,महंत राघवेंद्र दास, महंत जयेंद्र मुनि,महंत प्रेमदास,महंत कैवल्या नंद,महंत बलवंत दास,महंत सेवादास,महंत मुरली दास,स्वामी रविपुरी, स्वामी राजगिरी सहित कई संत महापुरूषों ने श्रीमहंत रविंद्रपुरी के इस प्रयास की भूरि भूरि प्रशंसा की और उन्हें बधाई दी।