मां कात्यायनी ने किया था महिषासुर का वध-स्वामी निर्मलदास

 हरिद्वार। श्रवणनाथ नगर स्थित तारकेश्वर धाम में नवरात्र पूजन के दौरान श्रद्धालु भक्तों को देवी भगवती की महिमा से अवगत कराते हुए गौ गंगा सेवा धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी निर्मलदास महाराज ने कहा कि नवरात्रों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और ध्यान करने से कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। पराम्बा मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी, कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में देवताओं की प्रार्थना पर प्रकट हुईं और महिषासुर का वध किया। द्वापर युग में श्रीकृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए राधारानी सहित गोपियों ने उनकी उपासना की थी। आज्ञाचक्र की अधिष्ठात्री, ये “महायोगिन्यधीश्वरी” के नाम से प्रसिद्ध हैं। मां कात्यायनी की उपासना मानव चेतना के उत्थान में सहायक है। निश्चल भक्ति, उच्च लक्ष्यों की प्राप्ति, बौद्धिक संपदा और आत्म सामर्थ्य का जागरण उनकी आराधना का मुख्य फल है। स्वामी निर्मलदास महाराज ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को पूर्ण विधि विधान से नवरात्र साधना अवश्य करनी चाहिए। नवरात्र साधना करने से परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। कष्टों और रोग से छुटकारा मिलता है।