हरिद्वार। श्रीरामलीला समति सैक्टर 1 भेल के रामलीला मंच पर चौथे दिन मंथरा कैकई संवाद ,दशरथ कैकई संवाद व राम वनवास जैसे मुख्य दृश्य दर्शाए गए। रामलीला मंच पर सामुदायिक केंद्र के सचिव अरुण कुमार व सदस्य जगेशपाल एवं गोपाल शर्मा ने गणेश आरती के साथ लीला का शुभारंभ किया। सामुदायिक केंद्र के सचिव अरुण कुमार ने कहा कि वैसे तो माता कैकई प्रभु राम को सर्वाधिक प्यार करती थी। और प्रभु राम के राजतिलक से बहुत प्रसन्न भी थी लेकिन अपनी दासी के भड़काने में आ कर राजा दशरथ से पूर्व में दिए हुए दो वचन मांग लिए। जिसमें भारत को राजतिलक और राम को वनवास मांगा। राजा दशरथ ने कहा कि मैं अपने वचन को तो पूरा करूंगा। क्योंकि रघुकुल रीत सदा चले आई,प्राण जाए पर वचन न जाई। और अपना वचन पूरा करते ही राजा दशरथ मूर्छित हो गए। और राम के वन जाने के वियोग में प्राण त्याग दिए। इसमें कैकई का कोई दोष नहीं था। वह तो प्रभु राम ने अपनी माता कैकई से पूर्व में ही यह वचन ले लिया था। उन्हे तो वन जाना ही था। कैकई और राजा दशरथ के बीच जो संवाद हुऐ तथा राजा दशरथ बिना राम के जिस तरह तड़फते रहे उस दृश्य ने दर्शकों की आंखों में अश्रु धारा बहने पर विवश कर दिया। दशरथ का सजीव अभिनय रामलीला के सलाहकार मुख्तियार सिंह ने निभाया। भेल सैक्टर 1 रामलीला मंच पर अद्भुत लीला का मंचन राकेश कुमार के निर्देशन में किया जा रहा है। रामलीला मे मुख्य रूप से रामलीला समिति के संरक्षक डॉ हिमांशु द्विवेदी, अध्यक्ष अश्वनी सिंह,सचिव राधे श्याम सिंह कोषाध्यक्ष गौरव ओझा,वीरेंद्र नेगी,धनजय यादव,सुबोध कुमार,राकेश कुमार,संजय वर्मा,राज कुमार यादव,राकेश पवार,रविंद्र कुमार,संजय कुमार, मैनपाल सिंह,वॉलिंटियर राजकुमारआदि मौजूद रहें।
राम के वनवास का वचन कैकई को देते ही राजा दशरथ हुऐ मूर्छित
हरिद्वार। श्रीरामलीला समति सैक्टर 1 भेल के रामलीला मंच पर चौथे दिन मंथरा कैकई संवाद ,दशरथ कैकई संवाद व राम वनवास जैसे मुख्य दृश्य दर्शाए गए। रामलीला मंच पर सामुदायिक केंद्र के सचिव अरुण कुमार व सदस्य जगेशपाल एवं गोपाल शर्मा ने गणेश आरती के साथ लीला का शुभारंभ किया। सामुदायिक केंद्र के सचिव अरुण कुमार ने कहा कि वैसे तो माता कैकई प्रभु राम को सर्वाधिक प्यार करती थी। और प्रभु राम के राजतिलक से बहुत प्रसन्न भी थी लेकिन अपनी दासी के भड़काने में आ कर राजा दशरथ से पूर्व में दिए हुए दो वचन मांग लिए। जिसमें भारत को राजतिलक और राम को वनवास मांगा। राजा दशरथ ने कहा कि मैं अपने वचन को तो पूरा करूंगा। क्योंकि रघुकुल रीत सदा चले आई,प्राण जाए पर वचन न जाई। और अपना वचन पूरा करते ही राजा दशरथ मूर्छित हो गए। और राम के वन जाने के वियोग में प्राण त्याग दिए। इसमें कैकई का कोई दोष नहीं था। वह तो प्रभु राम ने अपनी माता कैकई से पूर्व में ही यह वचन ले लिया था। उन्हे तो वन जाना ही था। कैकई और राजा दशरथ के बीच जो संवाद हुऐ तथा राजा दशरथ बिना राम के जिस तरह तड़फते रहे उस दृश्य ने दर्शकों की आंखों में अश्रु धारा बहने पर विवश कर दिया। दशरथ का सजीव अभिनय रामलीला के सलाहकार मुख्तियार सिंह ने निभाया। भेल सैक्टर 1 रामलीला मंच पर अद्भुत लीला का मंचन राकेश कुमार के निर्देशन में किया जा रहा है। रामलीला मे मुख्य रूप से रामलीला समिति के संरक्षक डॉ हिमांशु द्विवेदी, अध्यक्ष अश्वनी सिंह,सचिव राधे श्याम सिंह कोषाध्यक्ष गौरव ओझा,वीरेंद्र नेगी,धनजय यादव,सुबोध कुमार,राकेश कुमार,संजय वर्मा,राज कुमार यादव,राकेश पवार,रविंद्र कुमार,संजय कुमार, मैनपाल सिंह,वॉलिंटियर राजकुमारआदि मौजूद रहें।