16 नवंबर से देहरादून में जुटेंगे देश के प्रसिद्ध लेखक और विद्वान।

इतिहास रचेगा वैली ऑफ वर्ड्स का साहित्य महोत्सव 

 देहरादून। वैली ऑफ वर्ड्स साहित्य महोत्सव का आठवां संस्करण रचनात्मकता,ज्ञान,और कलात्मक अभिव्यक्ति का एक रोमांचक उत्सव होने जा रहा है। 16नवंबर से शुरू हो रहे महोत्सव में देश के अनेक प्रमुख साहित्यकार और विद्वान साहित्य-संस्कृति से लेकर रक्षा और सैन्य रणनीतियों तक पर विमर्श करेंगे। फेस्टिवल डायरेक्टर और भारत की आईएएस अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ.संजीव चोपड़ा के अनुसार,महोत्सव में 50सत्रों में विभिन्न विधाओं,शैलियों और ज्वलंत विषयों को शामिल करते हुए 75प्रतिष्ठित लेखकों को आमंत्रित किया गया है। इनके अलावा 100से अधिक विद्वान अन्य सत्रों में मौजूद रहेगें। इसमें 12पुस्तक विमोचन,चार विचारोत्तेजक विमर्श और छह प्रदर्शनी शामिल होंगी। इस दौरान प्रतिष्ठित वैली ऑफ वर्ड्स- आरईसी पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे,जिसमें अंग्रेजी और हिंदी कथा साहित्य,गैर-कथा साहित्य, अनुवाद और बाल साहित्य जैसी विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट कृति को एक-एक लाख का पुरुस्कार प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार पाने वालों में स्मृति रवींद्र (अंग्रेजी कथा, द वुमन हू क्लाइम्ब्ड ट्रीज), मनोज मित्त (अंग्रेजी गैर-कथा,कास्ट प्राइडरू बैटल्स फॉर इक्वलिटी इन हिंदू इंडिया),उदय प्रकाश (हिंदी कथा,अंतिम नींबू),डॉ.सुरेश पंत (हिंदी गैर-कथा,शब्दों के साथ-साथ ),शबनम मिनवाला (यंग एडल्ट लेखन,ज़ेन),विभा बत्रा (बाल साहित्य/चित्र पुस्तक,द छऊ चौंप),सुभाष नीरव(हिंदी अनुवाद,अंबर परियां),और अंजुम कटयाल (अंग्रेजी अनुवाद,ट्रुथ/ अनट्रुथ) शामिल हैं। वैली ऑफ वर्ड्स ने समसामयिक मुद्दों पर भी चर्चा के लिए सत्र निर्धारित किए हैं। इनमें यूनिफॉर्म सिविल कोड,प्रवास और पलायन,प्रिंट मीडिया का भविष्य जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विमर्श किया जाएगा। इन सत्रों में देश के अनेक प्रतिष्ठित विद्वानों, कुलपतियों,विधिवेत्ताओं और नीति निर्माताओं को आमंत्रित किया गया है। स्कूली बच्चे विभिन्न प्रदर्शनियों व प्राचीन वस्तुओं पर आधारित्व सत्रों में भी शामिल होंगे। कॉलेज के छात्रों को साहित्य,संस्कृति और समाज के अंतर्संबंधों पर केंद्रित कार्यशालाओं और चर्चाओं के संयोजन का जिम्मा भी दिया गया है। युवाओं को सांस्कृतिक और बौद्धिक गतिविधियों का सक्रिय हिस्सा बनाने के लिए महोत्सव में और भी कई रंग दिखाई देंगे। जिसमें इति नृत्य और इति नाट्य जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। शालिनी राव द्वारा क्यूरेट किया गया इति नृत्य भारत की महान शास्त्रीय नृत्य परंपराओं को उजागर करेगा,जिसमें प्रसिद्ध कलाकार कीर्ति कुरांडे (कथक ),रात्रि मणिक (मणिपुरी),और संदीप कुंडू (कुचिपुड़ी) प्रस्तुति देंगे। वहीं,सीआईआई के सहयोग से स्कूली छात्रों द्वारा अभिज्ञान शाकुंतलम नाटक की प्रस्तुति होगी। इति लेख में पुस्तकों का एक चयनित संग्रह प्रस्तुत किया जाएगा,जबकि इति स्मृति में वैली ऑफ वर्ड्स की यादगार वस्तुएं होंगी। इसके अतिरिक्त,एक प्रदर्शनी उत्तराखंड और ट्राइब्स इंडिया के बेहतरीन उत्पादों को प्रदर्शित करेगी। वैली ऑफ वर्ड्स साहित्य महोत्सव के मौजूदा संस्करण में राजनीति और सैन्य रणनीति से लेकर साहित्य और संस्कृति तक के विभिन्न विषयों पर गहन चर्चा होगी। भारत की रक्षा बहसों को देखते हुए,वैली ऑफ वर्ड्स ने लेफ्टिनेंट जनरल पीजेएस पन्नू की अध्यक्षता में सैन्य इतिहास और रणनीति पर एक समर्पित खंड निर्धारित किया है। इसके तहत भारत के रक्षा बजट और वैकल्पिक रणनीतियों पर मंथन होगा। एक विशेष सत्र में वैली ऑफ वर्ड्स अपने दो वरिष्ठ सदस्यों,प्रख्यात पत्रकार डॉ.जसकिरण चोपड़ा और प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर धीरेंद्र शर्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करेगा,जिनका पिछले वर्ष निधन हो गया। इस सत्र में आमंत्रित अतिथि डॉ.जसकिरण की काव्य रचनाओं का पाठ करेंगे। महोत्सव में पांच हिंदी पुस्तकों के विमोचन के साथ सादनीरा पत्रिका के विशेष संस्करण का लोकार्पण भी होगा। वैली ऑफ वर्ड्स इस वर्ष अपनी प्रकाशन श्रृंखला वॉवेल्स (टवॅमसे) भी लॉन्च कर रहा है, जिसमें लेखको के साक्षात्कार,चयनित पुस्तकों की समीक्षाएं,और विभिन्न महोत्सव खंडों के क्यूरेटरों के लेख शामिल होंगे। डॉक्टर संजीव चोपड़ा ने कहा कि महोत्सव का प्रभाव निरंतर बढ़ रहा है,जिसमें आरइसी,ओएनजीसी,नेस्ले,और उत्तराखंड सरकार जैसे प्रायोजक सक्रिय सहयोग दे रहे हैं। जिससे यह देहरादून,इंदौर,पुणे,चेन्नई और नई दिल्ली जैसे शहरों का एक प्रमुख साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजन बन गया है। इस वर्ष का एक विशेष सत्र उत्तराखंड के उच्च क्षेत्रों से जनसंख्या पर पलायन के प्रभाव और इसके राष्ट्रीय सुरक्षा पर संभावित परिणामों पर केंद्रित सत्र भी निर्धारित किया गया है। डॉ.कुलदीप दत्ता द्वारा क्यूरेट किया गया यह सत्र ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में स्थायी प्रवास की बढ़ती प्रवृत्ति,विशेष रूप से सीमा के गांवों में,और इसके प्रशासनिक,राजनीतिक,सामाजिक,और रक्षा परिप्रेक्ष्य पर प्रभावों की गहनता से जांच करेगा। इस चर्चा में उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव इंदु पांडे और अन्य विशेषज्ञों की भागीदारी होगी। इसके साथ,फ्यूचर सिटीज पर केंद्रित एक सत्र भारत में शहरीकरण द्वारा उत्पन्न चुनौतियों और अवसरों की पड़ताल की जाएगी। शहरी नियोजन विशेषज्ञ आशीष की अध्यक्षता में यह चर्चा भविष्य के शहरों की जरूरतोंकृजैसे बुनियादी ढांचा, स्थिरता, और नियोजनकृपर केंद्रित होगी। इस सत्र में दून विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ अखिलेश और अविनाश शामिल होंगे। इस महोत्सव में साहित्य संस्कृति और समकालीन चुनौतियां में रुचि लेने वाले लेखन विद्वानों के साथ-साथ युवाओं तथा स्थानीय प्रबुद्ध लोगों को भी आमंत्रित किया गया है महोत्सव में निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था की गई है।