अमरत्व प्रदान करता है छप्पन भोग प्रसाद - स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती

 हरिद्वार। श्रीगीता विज्ञान आश्रम में आज महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज की अध्यक्षता में गोवर्धन पूजा अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया,जिसमें प्रशिक्षु विद्वान ,आश्रमस्थ संत तथा बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालुओं ने भगवान गोवर्धन की पूजा कर साकार की पूजा करने का संकल्प लिया। गोवर्धन गिरधारी को छप्पन भोग लगाए तथा प्रसाद पाकर अपना-अपना अंतःकरण पवित्र किया। भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन स्वरुप की पूजा करते हुए श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने कहा कि अहंकारी व्यक्ति को मुंह की खानी पड़ती है जबकि परमार्थ व्यक्ति की प्रगति का सोपान बनता है। भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्धन लीला का वृतांत सुनाते हुए उन्होंने कहा कि देवराज इंद्र ने अपने वर्षा रूपी तांडव से पूरे ब्रज मंडल को डूबा देने की योजना बनाई तो भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को ही अपनी उंगली पर उठा लिया और संपूर्ण ब्रजमंडल की रक्षा कर इंद्र का घमंड तोड़ा। उन्होंने निराकार के स्थान पर साकार की पूजा का विधान बनाया तभी से दीपावली के अगले दिन भगवान के गोवर्धन स्वरुप की पूजा होती है। पूजा का महत्व समझाते हुए उन्होंने कहा कि जो भक्त गोवर्धन पूजा में भाग लेते हैं उनका अंतर्मन इतना मजबूत हो जाता है कि वह सभी प्रकार के कष्टों का सामना करने में स्वयं सक्षम हो जाते हैं। गोवर्धन पूजा के वैज्ञानिक महत्व का रहस्योद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान को लगाए जाने वाला छप्पन भोग प्राकृतिक जड़ी-बूटी,फल,सब्जी,अनाज एवं मिष्ठान का ऐसा शक्तिशाली खाद्य पदार्थ बनता है जो भगवान को भोग लगाने के बाद अमृत तुल्य बन जाता है। भगवान का यह छप्पनभोग प्रसाद भक्त के तन,मन और आत्मा को दैवीय शक्ति प्रदान करता है। छप्पन भोग के अध्यात्मिक महत्व की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि गोवर्धन पूजा के छप्पन भोग का प्रसाद यदि असाध्य रोगी को दे दिया जाए,तो वह शीघ्र ही रोग मुक्त हो जाता है। अंत में सभी भक्तों ने भगवान के छप्पनभोग का प्रसाद ग्रहण कर अपना जीवन धन्य किया।