नगर निगम चुनाव क्या इतिहास दोहरा पाएगी कांग्रेस या बनेगा बीजेपी का मेयर

 हरिद्वार। नगर निकाय चुनाव की सुगबुहाट के बीच एक प्रश्न हरिद्वार के राजनीतिक गलियारों में तैर रहा है कि क्या कांग्रेस पिछले नगर निगम चुनाव इतिहास दोहरा पाएगी या बीजेपी एक बार फिर नगर निगम की सत्ता पर काबिज होगी। जहां कांग्रेस इतिहास दोहराने की तैयारी में जुटी है। वहीं भाजपा जो वर्तमान में दो गुटों में बंटी दिखाई देती है अपना मेयर चुनवाने को आतुर दिखाई पड़ती है। भाजपाइयों को ऐसा लगता है कि भाजपा के पक्ष में जो लहर दिखाई पड़ रही है,उस पर चढ़कर आसानी से मेयर पद जीत लेंगे। साथ ही भाजपाइयों को अपने संगठन पर भी पूरा भरोसा है कि वह अपने  संगठन के दम पर आसानी से इस लड़ाई को जीत लेंगे। क्योंकि कांग्रेस में संगठन का अभाव दिखाई पड़ता है। यद्यपि जब से महानगर अध्यक्ष पद पर कांग्रेस के एक गुट के अमन गर्ग की ताजपोशी हुई है। तब से कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर दिखाई देने लगे हैं। वहीं मेयर पति अशोक शर्मा भी जनहित के मुद्दों को जनता के मध्य उठाकर स्वयं को मेयर पद की दौड़ में बनाए हुए हैं। इसके अलावा कांग्रेसियों को कॉरिडोर योजना से भी उम्मीद है। कांग्रेसियों को लगता है कि कॉरिडोर योजना जिसको लेकर व्यापारी डरे हुए हैं और यह डर भाजपा की लुटिया डुबाने में सहायक होगा। वहीं भाजपा की जीत हार बहुत कुछ प्रत्याशी चयन पर भी निर्भर करेगी। क्योंकि एक गुट का प्रत्याशी घोषित होते ही दूसरा धड़ा उसे जमीन दिखाने को तैयार हो जाएगा,जो कांग्रेसियों के उत्साह का एक कारण है। लेकिन यही स्थिति कांग्रेस की भी दिखाई देती है। कांग्रेसियों की गुटबाजी अलग-अलग प्रदर्शन करने से भी स्पष्ट दिखाई देती है। कांग्रेस में कुछ नेता ऐसे भी हैं जो मेयर पद की दावेदारी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। जिनका वजूद उनके वार्ड में ही जीरो दिखाई पड़ता है। ऐसी स्थिति भाजपा में भी है कुछ नव धनाढय अपने पैसे के दम पर भाजपा का टिकट लाने की जुगत में लग गए हैं। पूंजीपतियों को देखकर भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहा है और समर्पित कार्यकर्ता सोचने लगे हैं क्या बीजेपी भी कांग्रेस की राह पर है और इन सब द्वंदों के बीच निगम क्षेत्र की जनता राजनीतिक नौटंकी देखकर मन ही मन आनंद ले रही है।