सोशल मीडिया की पत्रकारिता के भी कुछ मानक होने चाहिए

चैंन्जिंग नेचर आफ प्रेस पर गोष्ठी का आयोजन 


 हरिद्वार । जिला सूचना कार्यालय द्वारा  ‘प्रेस दिवस‘ के अवसर पर प्रेस क्लब में चैंन्जिंग नेचर आफ प्रेस पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जिला सूचना अधिकारी अहमद नदीम  ने कहा कि आज सोशल मीडिया के कारण पत्रकारिता में बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि कोविड -19 के आने से पहले पत्रकारिता, प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया  चौनलों के माध्यम से ही होती थी लेकिन आज सोशल मीडिया ने अपना प्रमुख स्थान बना लिया है। सोशल मीडिया के जहां फ़ायदे हैं, वहीं भ्रामक जानकारियों के चलते बहुत नुक़सानदायक भी सिद्ध हो रही है। प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष दीपक नौटियाल ने अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि कोरोना से पहले भी राष्ट्रीय प्रेस दिवस गोष्ठियाँ होती रही हैं। हमें यह स्वीकार करना होगा कि आज पत्रकारिता में बहुत बदलाव आए हैं। पहले केवल प्रिंट मीडिया हुआ करता था उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आया और आज सोशल मीडिया का दौर है इस तरह पत्रकारिता में दिन प्रतिदिन बदलाव आते जा रहे हैं।प्रेस क्लब के वरिष्ठ सदस्य राहुल वर्मा अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि बताया कि सोशल मीडिया आज बिना तथ्यों की जांच किए भ्रामक खबरें दिखा देता है, जबकि प्रिंट मीडिया की जिम्मेदारी होती है कि हम क्या छाप रहे हैं और क्या नहीं। इसलिए प्रिंट मीडिया आज भी विश्वसनीय बना हुआ है।एसएमजेएन पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सुनील बत्रा अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि  वर्तमान परिस्थितियों आज हम प्रिंट मीडिया के बदलाव की बात कर रहे हैं और इन परिस्थितियों में एक मिशनरी के रूप में अपने कार्यों को संपादित भी कर रहे हैं तो हमें इस पर गर्व होता है। आज देखें तो ।प् के दौर में विभिन्न चौनलों ने समाचार वाचकों को अपने यहां रखना शुरू कर दिया है। वाकई में परिस्थितियां आज बहुत विषम हैं। सोशल मीडिया में अपना अकाउंट खोलकर आज हर व्यक्ति व्यूज़ पाने के लिए पत्रकार बन बैठा है, जबकि वास्तव में पत्रकारिता तो एक मिशन है। अश्विनी अरोड़ा ने अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि आज पत्रकारिता का स्वरूप ही बदल गया है और इसके पीछे राजनीतिक व सामाजिक ढांचा काम कर रहा है, इसलिए कोई भी पत्रकार आज स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता करने में स्वयं को असमर्थ महसूस कर रहा है। नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के प्रदेश अध्यक्ष त्रिलोकचंद भट्ट  ने अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि पहले पत्रकारिता लोगों को हितों से जुड़ी होती थी लेकिन आज वह मिशन कहीं गायब हो गया है। आज मीडिया जनमानस को क्या परोस रही है इसको देखना आवश्यक है। इसके अलावा सामाजिक आधार व भौगोलिक आधार पर सर्वे कराए जाने लगे हैं। कुछ घरानों ने अपने ट्रस्ट स्थापित कर लिए हैं। आज कॉपी पेस्ट की पत्रकारिता चल रही है जो बहुत ख़तरनाक है। प्रेस क्लब के वरिष्ठ पत्रकार बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि अब लेखन में संवेदनाएं ख़त्म होती जा रही हैं, कृत्रिम समाचार व लेख को ही छापकर लोग अपने को पत्रकार समझ रहे हैं, आजकल सब कुछ परिवर्तित हो गया है। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण झा ने अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि आजकल धार्मिक खबरें सोशल मीडिया पर ज्यादा आ रही हैं और इन्होंने पत्रकारिता को एक हाशिए पर धकेल दिया है, आज चेंजिंग ऑफ नेचर में बदलाव की जरूरत है। सरकार आती हैं और चली जाती हैं, अपना उल्लू सीधा कर लेती हैं और हम वहीं के वहीं रह जाते हैं।  वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र गोस्वामी जी ने कहा कि प्रिंट मीडिया हमारे लिए आज भी विश्वसनीयता की कसौटी है,  पत्रकार राजेश शर्मा ने कहा कि आज न केवल पत्रकार बदले हैं और ने ही प्रकृति बदली है, बल्कि हर एक चीज में आज परिवर्तन आया है। चाहे तकनीकी रूप से हो या सैद्धांतिक रूप से, पत्रकारिता मजबूत हुई है पत्रकारों ने बड़े-बड़े घोटाले खोले हैं।