सच्चिदानन्द सरस्वती श्रीचिन्मय कुटी के उत्तराधिकारी घोषित


 हरिद्वार। ब्रह्मपुरी स्थित श्रीचिन्मय कुटी मे विद्यानन्द सरस्वती के षोडशी समष्टि भंडारे के साथ एक विशाल संत समागम आश्रम के श्रीमहंत स्वामी चिद्घनानन्द सरस्वती महाराज की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस अवसर पर श्रीमहंत 1008 स्वामी चिद्घनानन्द सरस्वती महाराज ने अपनी सेवाभावी शिष्य सच्चिदानन्द सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए आश्रम के श्रीमहंत पद पर विभूषित किया। इस अवसर पर आश्रम के श्रीमहंत चिद् घनानन्द सरस्वती ने कहा साधु संत संप्रदाय के अनुसार गुरु शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति की प्राचीन परंपरा है। गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत अपनी वृद्धावस्था को देखते हुए गुरु अपने स्थान के संचालन हेतु योग्य शिष्य का चयन करते हैं। उन्होंने कहा इस संसार में धर्म कर्म और दूसरों की सेवा ही कल्याण का मार्ग है। सच्ची श्रद्धा आस्था और ईश्वर भक्ति मनुष्य का लोक और परलोक सुधार देता है। पट्टाभिषेक कार्यक्रम में अनेको संत महापुरुष ने भाग लिया। जूना अखाड़े के श्रीमहंत राम गिरि महाराज ने कहा गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत गुरु अपने योग्य शिष्य को संत महापुरुषों की गरिमामय उपस्थित के बीच पट्टाभिषेक तिलक चादर विधि विधान से करते है। अपने उत्तराधिकारी के रूप में तिलक करते हैं ताकि उनके चले जाने के बाद उनके स्थान कुटिया आदि की विधिवत देखभाल हो सके तथा आश्रम व कुटिया भी संरक्षित हो सके। इस अवसर पर श्रीस्वामी पूर्णानंद महाराज,महंत राम गिरि महाराज, स्वामी धर्मेंद्र दास महाराज,स्वामी सच्चिदानंद महाराज,आशुतोष गर्ग,श्रीमती अंजू अरोड़ा,संदीप मोगा, श्रीमती अंबिका टारिया,श्रीमती उर्मिला,श्रीमती शशि,अंशु,गौरव स्वामी प्रेमानंद महाराज,साध्वी माता भगवती गिरी,श्रीमती अंबिका,आशुतोष,राजीव संदीप,गोपाल,अतुल मैखुरी,संदीप मोगा सहित भारी संख्या में संत महापुरुष तथा भक्तगण उपस्थित थे।