समुद्र मंथन काल से चला आ रहा है कुंभ पर्व-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

 प्रयागराज कुंभ मेले के लिए रवाना हुई श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की जमात


हरिद्वार। श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के रमता पंचों की जमात बृहस्पतिवार को प्रयागराज महाकुंभ के लिए रवाना हुई। जमात के प्रयागराज रवाना होने से पूर्व जमात के श्रीमहंतों,पंचों ने मां गंगा और अखाड़े के इष्टदेव भगवान कपिल मुनि की पूजा अर्चना कर प्रयागराज कुंभ मेला सकुशल संपन्न होने व देश में सुख शांति की कामना की। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने आतिशबाजी और ढोल नगाड़ों के साथ जमात में शामिल संतों को फूलमाना पहनाकर प्रयागराज रवाना किया। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कुंभ का पर्व समुद्र मंथन काल से चला आ रहा है। उस काल में समुद्र मंथन से अमृत निकला था और अमृत की बूंदे जिन स्थान पर पड़ीं वहां-वहां कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि कुंभ पर्व पृथ्वी लोक में चार स्थानों पर और अंतरिक्ष में आठ स्थानों पर आयोजित होते हैं। प्रतिवर्ष एक कुंभ मेले का आयोजन होता है। उन्होंने कहा कि कुंभ विचारों का मंथन है। इस पर्व पर देश-दुनिया के साधु संत इकट्ठा होकर अपने विचारों के मंथन से देश और समाज हित में निर्णय लेते हैं। जो समाज, देश व पूरी दुनिया के लिए कल्याणकारी होता है। उन्होंने बताया कि प्रयागराज कुंभ के लिए रवाना हुई अखाड़े की जमात 2जनवरी को भव्य पेशवाई के रूप छावनी में प्रवेश करेगी। महंत सूर्यमोहन गिरी ने बताया कि 22 दिसम्बर को प्रयागराज में महानिर्वाणी अखाड़े की कुंभ मेला छावनी में अखाड़े की धर्मध्वजा स्थापित की जाएगी। इस दौरान संत समाज अपने ज्ञान,तप द्वारा समाज को सार्थक संदेश देने का प्रयास करेंगे। उन्होंने सभी सनातन धर्माम्वलिम्बयों को प्रयागराज कुंभ मेला में गंगा स्नान करने,संतों के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करने की अपील भी की। इस अवसर पर श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज,श्रीमहंत कृष्णा गिरि महाराज,श्रीमहंत देवगिरि महाराज,श्रीमहंत कमल पुरी महाराज, श्रीमहंत महेश गिरि महाराज,श्रीमहंत रामेन्द्र पुरी महाराज,श्रीमहंत विश्वनाथ पुरी महाराज,श्रीमहंत शिवनारायण पुरी महाराज,श्रीमहंत अखिलेश भारती,निर्भय गिरि,दिगम्बर भरत गिरि महाराज,दिगम्बर रवि गिरि महाराज,सूर्यमोहन गिरि महाराज,किशन पुरी महाराज सहित अखाड़े के अनेक संत मौजूद रहे।