विराट गीता महोत्सव में किया काव्य संध्या का आयोजन

 


हरिद्वार। अध्यात्म चेतना संघ द्वारा आयोजित विराट श्रीमद्भगवद्गीता जयन्ती महोत्सव के अन्तर्गत श्रीमद्भागवत सप्ताह के पंचम दिवस नन्दोत्सव की धूम रही। इसके पूर्व एक आध्यात्मिक काव्य संध्या का भी आयोजन किया गया। जिसमें कवियों ने भक्तिरस से भरपूर रचनाएँ प्रस्तुत कर श्रोताओं की तालियाँ बटोरीं। कवियित्री कंचन प्रभा गौतम द्वारा प्रस्तुत वाणी वंदना कंठ में मेरे जो भी स्वर है,वो तेरा है गुणगान से काव्य संध्या प्रारम्भ हुई। वरिष्ठ कवि अरुण कुमार पाठक के संचालन में हुई इस काव्य संध्या में जोश के कवि अरविन्द दुबे ने दुनिया वालों केकई माँ को मत कहना अपराधी,अपराजिता उन्मुक्त ने सबको शरण देता है शान्ति है दूत भारत,कंचन प्रभा गौतम ने पूछो पूछो कौन हूँ मैं,मैं वही मुखरित गीता वाणी हूँ, अरुण कुमार पाठक ने हे अन्नत कोटि ब्रहमाण्डधीश,तुम युग-युग के आधार हो तथा गीतकार भूदत्त शर्मा ने मुझको तो पनही ही कर दो,चरण सजूं और संग रहूँ मैं सुना कर माहौल को आध्यात्मिक रंग से सराबोर कर दिया।कथा व्यास तथा संस्था के संस्थापक आचार्य करुणेश मिश्र ने कथा को क्रम देते हुए कहा कि यदि हमारे पितृकर्म,देवकार्य अथवा यज्ञोपासना आदि के प्रारम्भ,अन्त अथवा मध्य में वर्षा हो जाये तो यह मान लेना चाहिये कि देव-पितृ ने हमारी यज्ञोपासना को प्रसन्न होकर स्वीकार कर लिया है। आचार्य करुणेश मिश्र ने कहा कि माँ गंगा के तट पर वास करने,उनके जल में स्नान करने तथा जल का पान करने से तो मनुष्य का कल्याण होता ही है,यदि हम गंगाजी के पास से निकलते समय उनका दर्शन मात्र कर लें,तो भी वह मनुष्य इसी पुण्यफल का भागी होता है। कथा के दौरान मुख्य यजमान गणेश शर्मा बिट्टू तथा निकिता शर्मा और सभी यजमान परिवारों के साथ-साथ बृजेश शर्मा,महेश चन्द्र काला ,भूपेन्द्र कुमार गौड़,अरुण कुमार पाठक,विशाल शर्मा,अर्चना तिवारी,अशोक सरदार,रविन्द्र सिंह उपस्थित रहे।