महाकुम्भ भारत का दृश्य है जो जाति-पति से मुक्त भारत का संदेश दे रहा है--योगी आदित्यनाथ

राष्ट्रसंत पूज्य मोरारी बापू के श्रीमुख से मानस कथा की ज्ञानधारा प्रवाहित

मानस कथा स्वयं में एक महाकुम्भ-मोरारी बापू

पूज्य बापू के पावन चरणों में बैठना भी एक कथा है-स्वामी चिदानन्द सरस्वती


प्रयागराज। महाकुंभ की पवित्र धरती पर,परमार्थ निकेतन शिविर,अरैल,प्रयागराज में विश्व प्रसिद्ध राष्ट्रसंत पूज्य मोरारी बापू के श्रीमुख से प्रवाहित हो रही मानस ज्ञान गंगा में रविवार को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आगमन हुआ। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और म.म.स्वामी संतोषदास(सतुआ बाबा) ने योगी आदित्यनाथ का अभिनन्दन किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मानसकथा में सहभाग कर अपने आशीर्वचनों से सभी को अभिभूत करते हुये कहा कि प्रयागराज की पावन धरा पर महाकुम्भ के दिव्य अवसर पर परमार्थ निकेतन की ओर से आयोजित पूज्य बापू की कथा में आने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह भारत का दृश्य है जो जाति-पति से मुक्त भारत का संदेश दे रहा है; भारत की एकता का संदेश दे रहा हैं। यह दृश्य अखंड़ भारत का मार्ग प्रशस्त करने का संदेश दे रहा है। योगी जी ने कहा कि मुझे पूज्य बापू की कई कथाओं में सहभाग करने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रत्येक कथा में कुछ न कुछ नया व रोचकता होती हैं। हरि अनंत,हरि कथा अनंता। उन्होंने कहा कि प्रयाग की धरती पर अक्षय वट है,सरस्वती कूप भी है,नागवासुकी का पावन मन्दिर है,महर्षि भारद्वाज जी का आश्रम है और पावन त्रिवेणी का संगम भी है इस पवित्र धरा पर आप सभी का अभिनन्दन है।उन्होंने कहा कि कथा,का संदेश राष्ट्रीय एकता का संदेश होना चाहिये; अखंड़ भारत का संदेश होना चाहिये,उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम के मिलन का संदेश होना चाहिये। आप सभी अंखड़ भारत का संदेश लेकर जायें। राष्ट्रसंत पूज्य मोरारी बापू ने आज की मानस कथा का शुभारम्भ मंगलभवन अमंगलहारी चौपाई से किया। मानस कथा, मानसिक नेत्रों को जीवंत व जागृत करने का दिव्य माध्यम है। मानस कथा स्वयं में एक महाकुम्भ है। संगम में स्नान करने के लिये हमें तन लेकर आना होता है और मानस,महाकुम्भ; कथा की त्रिवेणी में स्नान के लिये हमें अन्तस के चक्षुओं को लेकर आना होता है। कथा की त्रिवेणी में स्नान के लिये तन को ही नहीं बल्कि मन को भी लेकर आना पड़ता है। कथा के महाकुम्भ के स्नान के लिये सिद्धि ही नहीं बुद्धि को भी लेकर आना होता है। बापू ने आह्वान किया कि महाकुम्भ में स्नान के लिये तन से,मन से और अपार श्रद्धा के साथ आये।जो बल और बुद्धि लेकर आयेगाख्वहीं कुम्भ में अवगाहन कर सकता है। कुम्भ में स्नान के लिये विŸा की आवश्यकता होती है और कथा के महाकुम्भ में स्नान के लिये चिŸा की आवश्यकता होती है। त्रिवेणी में डुबकी लगने के लिये हमने अंलकारों को उतारना होता है,कथा में डुबकी लगाने के लिये अहंकार को उतरना होता है।परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष,स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हम बहुत सौभाग्यशाली है कि हमें तीर्थराज प्रयाग महाकुम्भ में आने का अवसर मिल रहा है। 6वर्ष में बाद एक अर्द्धकुम्भ आता है,12वर्ष में कुम्भ आता है और जब 12कुम्भ हो जाते हैं तब महाकुम्भ आता है।अगला महाकुम्भ 2170वें वर्ष में होगा। हम से पहले भी,हम और हमारे बाद भी शायद किसी को ऐसा अवसर प्राप्त होगा। हमें संगम के तट पर संगम के चरणों में संगम होने का अवसर मिल रहा है। हमारा जीवन संगम बने इसलिये तो यह अवसर प्राप्त हुआ है। स्वामी जी ने कहा कि पूज्य बापू के पावन चरणों में बैठना भी एक कथा है। कथा हमें श्रवण व समर्पण का लाभ प्रदान करती है। यह श्रवण से समर्पण की यात्रा है। श्रवण करते-करते प्रभु के प्रति समर्पण हो जाये यही तो संगम है।स्वामी जी ने कहा कि आज भारत के महान सपुत महाराणा प्रताप जी की पुण्यतिथि है।उन्होंने घास की रोटियाँ खाकर अपने देश को बचाने के अनेकों लड़ाईयाँ लड़ी।वे 208किलो की तलवार लेकर अपने चेतक पर बैठकर अपने राष्ट्र के लिये लड़ते रहे। पूरे विश्व में न जाने कितने संघर्ष है,फायर है परन्तु बापू की कथा उन सब के बीच एक पुण्य गाथा है जो संघर्ष नहीं साहस प्रदान करती है;संघर्ष नहीं समरसता प्रदान करती है। महाकुंभ के पावन अवसर पर प्रयागराज की दिव्य धरती पर, परमार्थ निकेतन शिविर,अरैल,सेक्टर 23में दिव्य,अलौकिक,अद्भुत श्रीराम कथा का आयोजन किया गया। 18से 26जनवरी 2025तक प्रतिदिन,सुबह 10बजे से 1बजे तक मानस ज्ञान गंगा प्रवाहित हो रही है। श्रीराम कथा मर्मज्ञ,राष्ट्रसंत,पूज्य संत मोरारीबापू के श्रीमुख से श्रीराम कथा का अमृतपान आप सभी पधारें।