पतंजलि में आयोजित छः दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘चरकायतन’ संपन्न
हरिद्वार। राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ द्वारा आयुर्वेद शिक्षकों तथा आयुर्वेद के स्नातकोत्तर व स्नातक विद्वानों हेतु 6दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम‘चरकायतन’का आयोजन पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ‘चरकायतन’ का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में चरक संहिता का प्रामाणिक नैदानिक ज्ञान तथा अभ्यास की प्रासंगिकता प्रदान करना व चरक संहिता को सीखने व पढ़ाने का कौशल विकसित करना है। उन्होंने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हमें आयुर्वेद से जुड़ने का अवसर मिला। आयुर्वेद केवल आजीविका या जीवन निर्वहन का साधन नहीं है अपितु ऋषि ऋण से उऋण होने का उपाय है।उन्होंने कहा कि आपके व्यवहार में,आचरण में,स्वभाव में व जीवन में आयुर्वेद दिखना चाहिए।स्वयं को वैद्य कहलाने में संकोच नहीं होना चाहिए अपितु गौरव अनुभव होना चाहिए। वैद्यकीय क्षमता व आयुर्वेद क्षमता बहुत व्यापक है। एलोपैथ सिंथेटिक दवाओं व कैमिकल्स पर आश्रित है, इसमें बहुत से साधनों की आवश्यकता रहती है। आयुर्वेद पराश्रित नहीं है।जड़ी-बूटियाँ घोटकर,छाल,तना,पत्तियों का प्रयोग कर,काढ़ा बनाकर आप जीवन दे सकते हैं।लेकिन सर्वप्रथम स्वयं पर,अपने आयुर्वेद पर विश्वास तो करना होगा। कार्यक्रम में विख्यात आयुर्वेद चिकित्सक वैद्य (प्रो.) एस.के. खण्डेल ने कहा कि पतंजलि पूरे विश्व में आयुर्वेद व योग के क्षेत्र में विश्व का सबसे अग्रणी संस्थान है।पतंजलि ने आयुर्वेद व योग को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पटल पर तथ्यों व प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया है।पतंजलि में आयुर्वेद को जीना सिखाया जा रहा है। आचार्य बालकृष्ण ने ग्रंथों की रचना कर आयुर्वेद की धाती बनाया है और विश्व में आयुर्वेद को नई पहचान दी है।विश्व में जितनी भी चिकित्सा पद्धतियाँ हैं,उनके समावेश का असंभवसा कार्य आचार्य बालकृष्ण ने करके दिखाया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में पद्मश्री और पद्म विभूषण वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा,राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के वैद्य राकेश शर्मा,वैद्य मोहन लाल जायसवाल,संतोष भट्टेड़,पतंजलि अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष डा.अनुराग वार्ष्णेय,राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ की निर्देशिका डा.वंदना सिरोहा,आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान जामनगर के वैद्य(प्रो.)हितेश व्यास,दीक्षित आयुर्वेद फोंडा गोवा के वैद्य (प्रो.)उपेंद्र दीक्षित,एवीएस आयुर्वेद महाविद्यालय,बीजापुर,कर्नाटक के वैद्य(प्रो.)संजय कडलिमट्टी ,राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के यंग प्रोफेशनल,डा.खुशबू पांडेय तथा डा.अनुराग सिंह व प्रोजेक्ट सलाहकार डा.लवनीत शर्मा ने प्रतिभागी विद्वानों व विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन किया।पतंजलि विवि के प्रति-कुलपति डा.सत्येन्द्र मित्तल,पतंजलि आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य प्रो.अनिल कुमार ,उपप्राचार्य प्रो.गिरिश के.जे.,वैद्य प्रो.सुरेश चन्द्र जोशी,वैद्य विभु व वैद्या दीपा का विशेष योगदान रहा।