भक्त की प्रत्येक परिस्थिति में रक्षा करते हैं भगवान-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री


हरिद्वार। श्रीराधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में पीपलेश्वर शिव मंदिर कृष्णा नगर कनखल में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने ध्रुव एवं प्रहलाद का चरित्र वर्णन करते हुए बताया कि भक्ति की कोई उम्र नहीं होती है।पांच वर्ष का बालक ध्रुव अपने पिता महाराज उत्तानपाद की गोद में बैठने जा रहा था। तभी उसकी सौतेली मां महारानी सुरुचि ने बालक ध्रुव को पिता की गोद में बैठने से रोका और कहा कि पिता की गोद में तभी बैठ सकते हो जब तुम भगवान की तपस्या करो और भगवान से वरदान प्राप्त कर मेरे गर्भ से जन्म लो। सौतेली मां के इन वचनों को सुनकर के बालक ध्रुव घर छोड़ कर वृंदावन की पावन भूमि पर पहुंचकर कठोर साधना करने लगा।साधना से प्रसन्न होकर भगवान नारायण ध्रुव को अपनी गोद में बैठा कर अपना स्नेह प्रदान करते हैं और आशीर्वाद देते हैं कि तीस हजार वर्षों तक तुम राज सिंहासन पर बैठोगे और उसके बाद बिना सरीर त्यागे सशरीर ध्रुव पद को प्राप्त हो जाओगे। शास्त्री ने बताया कि बालक ध्रुव ही आज ध्रुव तारे के रूप में चमक रहा है। ठीक इसी प्रकार से भागवत में प्रहलाद का भी चरित्र आता है।प्रहलाद का जन्म राक्षस कुल में हुआ।परंतु प्रहलाद जन्म से ही भगवान की अनन्य भक्ति करते हैं। प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यपु ने प्रहलाद को मारने के लिए अनेकं उपाय किए। परंतु भगवान नारायण ने प्रहलाद का बाल भी बांका होने नहीं दिया और स्वयं खंभे में से नरसिंह बनकर प्रकट हुए और हिरण्यकशिपु का संघार किया। शास्त्री ने बताया ध्रुव एवं प्रहलाद के चरित्र से हमें यही शिक्षा लेनी चाहिए कि जो भगवान की भक्ति करता है। भगवान उसकी हर स्थिति परिस्थिति में रक्षा करते हैं एवं उसको ध्रुव जैसा उत्तम पद प्रदान कर देते हैं। चतुर्थ दिवस की कथा में भक्तों ने वामन चरित्र,गजेंद्र मोक्ष की कथा,भगवान श्रीराम चरित्र का श्रवण किया एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया। इस अवसर पर मुख्य जजमान पंडित प्रकाश जोशी,संतोष अग्रवाल,शांति दर्गन,वीना धवन,राधा अरोड़ा,पिंकी चावला,अमृत वर्षा,मंजू साईं,पूजा वालिया,मीना पाल,दर्शन दर्गन,चंचल अरोड़ा,रश्मि कटारिया, कौशल कटारिया,पंडित गणेश कोठारी,अनिल कटारिया आदि ने भागवत पूजन किया।