पाश्चात्य संस्कृति का परित्याग कर सनातन संस्कृति को अपनाएं युवा-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने सभी को हिंदू नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना की थी। इसलिए इस दिन को हिंदू नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने युवा वर्ग से अपनी संस्कृति और परंपराओं को आत्मसात करने का आह्वान करते हुए कहा कि आधुनिक जीवनशैली और पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के चलते सनातन हिंदू नववर्ष के स्थान पर अंग्रेजी नववर्ष को अधिक महत्व दिया जाता है। युवा देश का भविष्य हैं,सनातन संस्कृति के संरक्षण का भार युवाओं पर है। इसलिए युवा पाश्चात्य संस्कृति का परित्याग कर सनातन संस्कृति को अपनाएं और समाज में नैतिक मूल्यों को स्थापित करने का संकल्प लें।उन्होंने कहा कि नववर्ष आत्म शुद्धि,सेवा और समाज कल्याण की प्रेरणा देता है।इसलिए हिंदू नववर्ष पर प्रत्येक सनातनी को अपने भीतर के अज्ञान,अहंकार और नकारात्मकता को समाप्त कर ज्ञान,प्रेम और करुणा का संचार करने का संकल्प भी अवश्य लेना चाहिए। निंरजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने भी सभी को हिंदू नववर्ष की बधाई और शुभकामनाएं दी।